भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रह्मविहारी स्वामी ने महंत स्वामी का हाथ पकड़कर मुख्य सभा कक्ष में प्रवेश किया। इसके बाद पहले भारतीय राष्ट्रगान और बाद में संयुक्त अरब अमीरात का राष्ट्रगान गाया गया।
दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण कराने वाली संस्था BAPS ने ही इसका भी निर्माण करवाया है।
इस मंदिर के दोनों ओर गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है। मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, जिस ओर गंगा का जल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है।
गंगा और यमुना के पवित्र जल के अलावा मंदिर में राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थर और भारत से पत्थरों को लाने में इस्तेमाल किए गए लकड़ी के बक्सों से बना फर्नीचर भी मंदिर की शोभा में इस्तामाल किया गया है।
अबू धाबी का यह मंदिर पहला हिंदू मंदिर है, जो देश के विभिन्न हिस्सों के योगदान से बना वास्तुकला का एक चमत्कार है और हिन्दुस्तानी हुनर का प्रतीक है।
त्रिवेणी संगम
ऐतिहासिक मंदिर के प्रमुख स्वयंसेवी विशाल पटेल ने कहा, “इसके पीछे का विचार इसे वाराणसी के घाट की तरह दिखाना है, जहां लोग बैठ सकें, ध्यान लगा सकें और उनके जहन में भारत में बने घाटों की यादें ताजा हो जाएं।
जब पर्यटक अंदर आएंगे तो उन्हें जल की दो धाराएं दिखेंगी जो सांकेतिक रूप से भारत में गंगा और यमुना नदियों को दर्शाती हैं। ‘त्रिवेणी’ संगम बनाने के लिए मंदिर की संरचना से रोशनी की किरण आएगी जो सरस्वती नदी को दर्शाएगी।
मंदिर स्थल पर खरीद और सामान की देखरेख करने वाले विशाल ब्रह्मभट्ट ने बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए 700 से अधिक कंटेनर में दो लाख घन फुट से अधिक ‘पवित्र’ पत्थर लाया गया है।
उन्होंने कहा, गुलाबी बलुआ पत्थर भारत से लाया गया है। पत्थर पर नक्काशी वहां के मूर्तिकारों ने की है और इसे यहां के श्रमिकों ने लगाया है। इसके बाद कलाकारों ने यहां डिजाइन को अंतिम रूप दिया है।
यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है, जो दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित है।
इसे बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा बनाया गया है। मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर पर उत्कृष्ट संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है।
मंदिर के लिए उत्तरी राजस्थान से अच्छी-खासी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया है।