आज दिनांक 1/09/2023 को इंदर सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय पोखाल, टिहरी गढ़वाल में एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित कर आयुर्वेदिक औषधियों व पौधों के महत्व, आयुर्वेद के क्षेत्र में करियर बनाने के विषय में परामर्श दिया गया।
प्राचार्य डॉ. अवधेश नारायण सिंह के संरक्षण में महाविद्यालय की एन0एस0एस0, करियर काउंसलिंग व एंटी ड्रग इकाई ने संयुक्त रूप से एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में एडब्ल्यूपीएल संस्था की और से उपस्थित विषय विशेषज्ञ सुश्री शोभा डोभाल जी एवं श्री घिल्डियाल जी ने छात्र छात्राओं को आयुर्वेद से जुड़े विभिन्न पहलुओं को विस्तारपूर्वक समझाया।
कार्यक्रम का संचालन एन0एस0एस0 कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अंधरूती शाह ने किया।
डॉ. अंधरूती शाह ने कहा कि आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा की एक पारंपरिक प्रणाली है। आयुर्वेद को 1976 में WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा मान्यता दी गई है। पिछले कुछ वर्षों में आयुर्वेद ने जनता के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है। आयुर्वेद के समग्र उपचार और शून्य दुष्प्रभाव गुणों ने लोगों को इसके प्रति आकर्षित किया है। आयुर्वेद न केवल स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने वाली चिकित्सा की एक शाखा के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि इसने युवाओं के लिए करियर के कई रास्ते भी खोले हैं। आजकल अधिक से अधिक लोग आयुर्वेदिक उपचार की ओर बढ़ रहे हैं, आयुर्वेद को अब एक बेहतर करियर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। उत्तराखंड राज्य प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है तथा यहां की भौगोलिक परिस्थिति वातावरण भी आयुर्वेद के लिए उपयुक्त है जिस कारण यहाँ आयुर्वेद आधारित करिअर में अपार संभावनाएं हैं ।
करियर काउंसलिंग इकाई के संयोजक डा. संजीव प्रसाद भट्ट ने कहा कि 12वी के बाद BAMS डिग्री सफलतापूर्वक पूर्ण कर आयुर्वेदिक डॉक्टर बन आप समाज की सेवा करने के साथ-साथ एक अच्छा करियर भी बना सकते है। इसके अलावा अनुसंधान केंद्रों, औषधालयों, स्वदेशी चिकित्सा विभागों वाले सामान्य अस्पतालों, सरकारी और निजी अस्पतालों, आयुर्वेदिक फार्मास्यूटिकल्स, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन अभियान, चिकित्सा पर्यटन, राष्ट्रीय आयुष मिशन, आयुर्वेद विशेषता केंद्रों जैसे क्षेत्रों, आयुर्वेदिक उद्योग, दवा निर्माता, आयुर्वेदिक उत्पादों का अपना ब्रांड लॉन्च करना, आयुर्वेद हीलिंग प्रैक्टिशनर तथा पोषण विशेषज्ञ इत्यादि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर पा सकते हैं।
एंटी ड्रग इकाई के संयोजक डॉ. बालक राम बद्री ने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा भारत की प्राचीनतम पद्धति है। ऐसी कई जड़ी-बूटियाँ और मसाले हैं जिनका उपयोग नशे की लत के आयुर्वेदिक उपचार में किया जाता है, आयुर्वेदिक दवाओं का शरीर पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता इसीलिए निश्चित ही नशा मुक्ति हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सा वरदान साबित होगी।
कार्यक्रम के अंत में समस्त महाविद्यालय परिवार ने उपस्थित विषय विशेषज्ञ सुश्री शोभा डोभाल जी एवं श्री घिल्डियाल जी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में एन0एस0एस0 कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अंधरूती शाह, करियर काउंसलिंग संयोजक डा. संजीव प्रसाद भट्ट, एंटी ड्रग इकाई संयोजक डॉ. बालक राम बद्री, एन.एस.एस. सह कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती संतोषी, डॉ. प्रभाकर, डॉ. गुप्ता, डॉ. श्याम कुमार, सर्व श्री राजेन्द्र राणा, रोशन, मनोज, अनिल, गंभीर तथा स्वयंसेवकों छात्र छात्राओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया।