कोटा, राजस्थान: अंतिम समय तक कला संस्कृति की रक्षा व प्रचार किया संस्कृति पुरूष पंडित सुरेश तातेड ने। 10 जून को उनके पुत्र अतुल तातेड से उनके पिता पंडित सुरेश तातेड जी के निधन का दुखद समाचार मिला कि दोपहर तीन बजे भोपाल में पिताजी का स्वर्गवास हो गया

बहुत दुख हुआ उस शाम हमारे घर में भोजन नहीं बना।

मुझे भी उनकी संस्था द्वारा गुरु वंदना महोत्सव 2011 में पद्मविभूषण डॉ 0 एम राजन के सानिध्य में व 2016 में पंडित ओम प्रकाश चौरसिया की मधुकली व अभिनव कला परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “षोडशी” अखिल भारतीय संगीत समारोह में प्रस्तुति देने भोपाल आमंत्रित किया था। तब मुझे प्रत्यक्ष रूप से पंडित जी की संगीत के प्रति अनन्य आस्था श्रध्दां को देखने समझने का मौका मिला। तभी से मैं पंडित जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रभावित थी।

25 अक्टूबर 1944 को शुजालपुर मध्य प्रदेश के श्वेतांबर जैन परिवार में जन्में पंडित सुरेश तातेड को विद्वानों ने साहित्य संगीत और कला का वट वृक्ष , कला का जौहरी, संकल्प और साधना का प्रतीक, आनंद के आत्मानुभवी, सांस्कृतिक चिंतन का प्रतीक, कृतज्ञता की मिसाल, अद्भुत संयोजक आदि आदि नामों से महिमा मंडित किया।

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उन्हें तानसेन समारोह में राजा मानसिंह तोमर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया,

2004 – 2005 में जयपुर पद्मभूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट जी द्वारा आपको पंडित की उपाधि से विभूषित किया

श्री भारतेंदु समिति कोटा द्वारा उन्हें “आचार्य हनुमान प्रसाद सक्सेना स्मृति अखिल भारतीय साहित्य संस्कृति सम्मान,, भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी के पड़पोते प्रो0 गिरिश चन्द्र एवं श्री राजेश कृष्ण बिरला जी द्वारा प्रदान किया गया है।

उन्होंने कई उभरते प्रतिभावान कलाकारों को संरक्षण, मंच और कल के कलाकार अवार्ड से पुरस्कृत किया जो आज स्थापित कलाकार है। । फिल्म संगीत जगत के कई अनमोल रत्न जो आज चमक रहे हैं उन्हें तराशने वाले पहचाने वाले पहले जौहरी में उनका नाम भी शामिल हैं।

मैनें अभिनव कला परिषद की स्मारिका में पढा है लोक प्रिय पार्श्व गायक श्री महेंद्र कपूर संगीत ऋषि पंडित सुरेश तातेड के चरण स्पर्श सर सम्मान करते थे अनगिनत मंचों पर आपका सम्मान अभिनंदन हुआ।

पंडित जी कला जगत के उन युग पुरुषों में से एक हैं जिन पर लिखना सूरज को रोशनी दिखाने के समान है उन पर कई प्रतिक्रियाएं पढने को मिली जैसे –

“कला संस्कृति समाज सेवी पंडित सुरेश तातेड एक ऐसा नाम शब्द है जिसका न कोई पर्याय है न विकल्प…,,

” सुरेश तातेड संस्कृति के सच्चे प्रतिनिधि हैं सुरेश होकर भी उन्हें इंद्रासन की चाह नहीं है। दर्प को विखंडित कर उन्होंने स्वयं को सहज बनाया हुआ है।,,

-पंडित सुरेश तातेड परिवर्तन में विश्वास करते हूए भी अपनी सांस्कृतिक सत्ता से विकास परम्परा सुनिश्चित करते चलते हैं।

पंडित सुरेश तातेड व्यक्ति नहीं संस्था है

आज की दुनिया में जहां ” अहोरूपं अहो ध्वनि,, का बोल बाला है सुरेश जी ने अपने को तमाम प्रकार की राजनीति और स्वार्थनीति से दूर रखा है।

पंडित सुरेश तातेड जी ने सन 1963 में आपने भोपाल को अपनी कर्मभूमि बनाया और संगीत प्रेमी मित्रों के साथ मिलकर *यूथ कल्चरल सोसायटी* नामक सांस्कृतिक संस्था का गठन किया जिसका नाम बदलकर बाद में “अभिनव कला परिषद” कर दिया गया ।

संस्था अपनी सुरीली यात्रा के 62 पड़ाव पार कर चुकी है । इस दौरान 400 से अधिक कार्यक्रमों में अब तक विभिन्न कला रूपों के 4000 से अधिक नवोदित से लगाकर शीर्षस्थ कलाकार प्रस्तुतियाँ दे चुके हैं । संस्था की सुदीर्घ संगीत सेवा हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा “राजा मानसिंह तोमर राष्ट्रीय सम्मान” प्रदान किया गया।

उन्होेंने ने गुरु शिष्य परंपरा को पुनर्प्रतिष्ठित करने की भावना से सन 1970 में संस्था “*मधुवन*” की स्थापना की व हर वर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विविध कला क्षेत्रों के सात मनीषियों की गुरू के रूप में वंदना कर उन्हें “श्रेष्ठ कला आचार्य” की मानद उपाधि से अलंकृत एवं सम्मानित करने की परंपरा कायम की । पंडित तांतेड़ ने सन 1993 में धार्मिक व सांस्कृतिक नगरी उज्जैन में भारतीय सनातन सांस्कृतिक मंदिर महोत्सव की परंपरा को पुनर्स्थापित कर उत्सव महाकालेश्वर संगीत समारोह का श्री गणेश किया ।

इस संस्था ने भी पचास वर्षों से से भी ज्यादा का सफर तय कर लिया है । पं. तातेड़  के भगीरथी प्रयासों से न केवल भोपाल महानगर के सांस्कृतिक रिक्तता को भरा अपितु इसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित और प्रतिष्ठित कर दिया । समय पर धन की व्यवस्था न होने पर अपनी पत्नि के गहने गिरवी रखकर कलाकारों को मानदेय देने वाले यह संस्कृति पुरूष अंतिम समय तक पूरी निष्ठा और समर्पण से लगे रहे।

उन्होेंने जैनम श्री पत्रिका एवं लगभग 400 अधिक स्मारिकाओं का सम्पादन प्रकाशन किया।

ऐसे महान संत व्यक्तित्व को विनम्र श्रद्धांजलि शत शत नमन

आस्था सक्सेन: कोटा राजस्थान, राजस्थान

आस्था सक्सेना

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