8 मार्च अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर श्री देवेंद्र कुमार सक्सेना (समाज संस्कृति सेवी तबला वादक राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा) द्वारा रचित प्रेरणा दायक काव्यात्मक अभिव्यक्ति
” भारतीय नारी सुख शांति और क्रांति के लिये जानी जाती है। देश समाज और परिवार के लिए नारी का त्याग भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
घृणा, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार लोभ क्रोध जैसी आसुरी वृत्तियों को जो नारी त्याग देती है। वह देवी बन जाती है।
वह परिवार, समाज और संस्कृति की प्रेरणा बन जाती है।।
नारी का सम्मान है जहाँ।
संस्कृति का उत्थान वहां।।
नारी का गुणगान है जहाँ।
सुख शांति का वरदान वहां।।
दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती नारी।
न्याय अर्थ, कला रक्षक नारी।।
नर नारायण सद् प्रेरक नारी।
घर परिवार की है पोषक नारी।।
धर्म संस्कृति की है संरक्षक नारी।
देव संस्कृति की प्रचारक नारी।।
वृक्ष वनस्पति की पूजा करती।
घर आंगन की है तुलसी नारी।।
सद्व्रत उपवास है रखती नारी।
परम्पराओं की है रक्षक नारी।।
परिवार समाज धूरी है नारी।
असुर तत्व की भक्षक है नारी।।
उद्योग, शिक्षा में यशस्वी नारी।
पुलिस न्याय प्रशासक है नारी।।
लता, आशा, वाणी, किशोरी ।
सुर संगीत की है साधक नारी।।
सीता, सावित्री, अन्नपूर्णा नारी।
राधा कृष्ण सी प्रीत है नारी।।
महादेवी – मीरा सा चिंतन है नारी।
लक्ष्मी, पन्ना, पद्मिनी है नारी।।
मां भगवती- शैल बाला नारी।
गायत्री मंत्र की प्रचारक है नारी।।
देव संस्कृति की साधक नारी।
गायत्री का सद्ज्ञान है नारी।।
यज्ञ रूपी सत्कर्म है नारी।
गीता सा स्वाभिमान है नारी।।