उत्तराखंड: प्रसिद्ध केदारनाथ धाम व यमुनोत्री धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं।

चारधाम यात्रा के समापन की शुरुआत बुधवार गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने से हुई थी। बुधवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो गए हैं। दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट को बंद किया गया।

आज सुबह 8 बजे केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो गए हैं। आज ही यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद किए गए। सबसे आखिर में 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

चारधाम यात्रा के समापन को लेकर दशहरे के मौके पर कपाट बंदी की तिथियों का ऐलान किया गया था। इसके लिए मुहूर्त के अनुसार तिथि और समय तय किए जाने की परंपरा रही है। इसी के आधार पर निर्धारित तिथियों पर चारों घाम के कपाट बंद किए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई।

केदारनाथ धाम के कपाट आज गुरुवार 27 अक्टूबर को बंद किए गए। कपाट बंद होने को लेकर बुधवार से ही पूजन शुरू हो गया था। आज भैया दूज के मौके पर केदारनाथ धाम के कपाट बंद हुए हैं।

भगवान केदारनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में सबसे पहले भगवान केदारनाथ के स्वयंभू लिंग को समाधि दी गई। इसके बाद ठीक सुबह 8.30 बजे केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली ऊखीमठ के लिए रवाना हो गई।

वहीं दूसरी ओर दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर विधि विधान के साथ यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। यमुनोत्री धाम से यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली गांव पहुंचाया जा रहा है। जहां अब 6 महीने तक शीतकालीन के दौरान मां यमुना के दर्शन होंगे।

बता दें कि आज सुबह 8.30 बजे खरसाली से यमुना के भाई शनि देवता की डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। यमुनोत्री में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान के साथ अभिजित मुहूर्त पर दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद किए गए।

यहां यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ तीर्थ पुरोहितों के गांव खरसाली लाया जाएगा। इस दौरान धाम में जिले की कई देव डोलियां मौजूद रहीं।