उत्तराखंड में राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में निरस्त हुए छात्रसंघ चुनाव से छात्रों में अभी तक नाराजगी छाई हुई है । अब छात्र सीधे सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल उठाने लगे हैं।
छात्रसंघ चुनाव की मांग इस सत्र में कर रहे है और छात्रों ने कहा, जब पिछले साल या पिछले सत्र में सरकार और विवि प्रशासन को छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने थे तो फिर उनसे फीस क्यों ली गई।
छात्रों का कहना है सरकार और विवि प्रशासन छात्रों के लोकतांत्रिक हक को मारना चाहती है। विवि और महाविद्यालयों में अगर छात्र नेता नहीं होंगे तो शिक्षक व प्रबंधक छात्रों से जुड़े मुद्दों की अनदेखी करेंगे।
समस्त उत्तराखंड के महाविद्यालय के छात्र संघ के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार कि अगर इस वर्ष छात्र संघ चुनाव नहीं किए गए तो हम पीछे नहीं हटेंगे इस बार , और इस वर्ष अगर उत्तराखंड सरकार और विश्व विद्यालय प्रशासन अपनी मनमानी करेगा तो इस वर्ष हम भी पूरे उत्तराखंड के महाविद्यालयों में तालाबंदी और आंदोलन होंगे, जहां पर छात्र संघ पीछे नहीं हटेगा ।
तथा जहां पर पूरे उत्तराखंड के छात्र संघ के द्वारा एक छात्र संघर्ष समिति बनाई जाएगी और उसके अनुसार तालाबंदी और आंदोलन होंगे ।
सिद्धार्थ अग्रवाल , छात्रसंघ अध्यक्ष, डीएवी पीजी कॉलेज ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव को किसी भी राष्ट्र की राजनीति की नींव कहा जाता है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में पूरे प्रदेश में चुनाव को संपन्न कराने की बात कही गई थी, पूर्व सरकार ने अपना फैसला बदल दिया था और छात्र संघ चुनाव कराने को लेकर समस्त छात्र संघ पदाधिकारियों और छात्रों में अभी तक नाराजगी छाई हुई हैं।
हिमांशु जाटव छात्र संघ अध्यक्ष, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश ने कहा कि सभी कॉलेजों में समय पर इलेक्शन होने से स्टूडेंट को अपनी समस्याएं पहुंचाने का माध्यम मिल जाता है. लेकिन, अधिकतर कॉलेज में छात्र संघ चुनाव न होने के कारण स्टूडेंट की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता हैं यदि इस वर्ष में चुनाव नहीं कराए गए तो समस्त छात्र संघ एवं छात्र छात्राएँ उग्र अंदोलन के लिए बाध्य होंगे जिसको सम्पूर्ण जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
आदर्श राठौर, छात्र नेता राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता रायपुर देहरादून ने कहा कि सरकार और महाविद्यालय प्रशासन अपने लापरवाह रवैये से हमारे धैर्य की परीक्षा ली है
हमने संघर्ष किया, आवाज़ उठाई, लेकिन इस निर्णय ने हमारे सपनों को, हमारी उम्मीदों को अधर में लटका दिया है। छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी उठाने वालों ने ही पिछले वर्ष अपनी नाकामियों से मुंह मोड़ लिया था । अगर इस वर्ष भी छात्र संघ चुनाव नहीं होते है तो पूरे उत्तराखंड महाविद्यालयों में तालाबंदी की जाएगी।