संजीव शर्मा: जैसा कि पहले से ही अनुमान लगाए जा रहे थे कि राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर भारी रहेगा, हुआ भी वही।
चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा रहा भी बल्कि हुई क्रॉस वोटिंग ने जीत के अंतर को और बढ़ा भी दिया। यहां तक कि यशवंत सिन्हा अपने घर झारखंड में भी सभी को एकसाथ न रख सके। यहां भी विपक्षी विधायकों ने मुर्मू के समर्थन में जमकर वोट किया।
सबसे ज्यादा क्रॉस वोटिंग असम में हुई। 126 सदस्यीय इस विधानसभा में एनडीए विधायकों की संख्या 79 है, जबकि मुर्मू के समर्थन में 104 वोट पड़े। इसके अलावा मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में भी जमकर क्रॉस वोटिंग हुई।
असम 22, मध्य प्रदेश 19, महाराष्ट्र 16 , उत्तर प्रदेश 12,
गुजरात 10, झारखंड 10, बिहार 6, छत्तीसगढ़ 6 राजस्थान 5, गोवा 4, उत्तराखंड 1
सांसदों तक ने मुर्मू के समर्थन में क्रॉस वोटिंग की। विपक्षी दलों के 17 सांसदों ने पार्टी के रुख के इतर यशवंत सिन्हा की जगह राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु के पक्ष में वोट किए।
विपक्षी दलों के विधायक और सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में मतदान किया। इससे विपक्षी एकता में कमी साफ नजर आई। द्रौपदी मुर्मू को सभी वोटों का लगभग 70 प्रतिशत मत मिला। जिसने विपक्षी दलों और यहां तक कि यूपीए खेमे के अंदर भी आपसी फूट को उजागर कर दिया है।
बात करते हैं उत्तराखंड की, यहाँ भी क्रास वोटिंग साफ़ दिखाई देती है जो कि कांग्रेस के एक विधायक ने की है यदि राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग अगर नहीं हुई है तो बीजेपी प्रत्याशी क़ो 51 वोट कैसे मिले।
राष्ट्रपति चुनाव में उत्तराखंड से राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को 51 विधायकों का समर्थन मिला, जबकि विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के पक्ष में 15 विधायकों ने मतदान किया। उत्तराखंड विधानसभा के 70 में से 67 सदस्यों ने मतदान किया था, इनमें से एक विधायक का मत अवैध रहा।
उत्तराखंड में राजग प्रत्याशी को 51 विधायकों ने अपना मत दिया। उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भाजपा के 47 विधायक हैं, जबकि दो निर्दलीय और बसपा के दो विधायकों ने भी राजग प्रत्याशी के समर्थन की घोषणा की थी। इस तरह राजग प्रत्याशी को 51 विधायको का समर्थन संभावित था। राजग प्रत्याशी को इतने ही विधायकों ने मत दिया, लेकिन भाजपा सरकार के एक मंत्री चंदन रामदास ने अस्वस्थता के कारण मतदान नहीं किया था।
साफ है कांग्रेस के एक विधायक ने क्रास वोटिंग की। कांग्रेस के 19 विधायकों में से 17 ने ही मतदान किया था, दो अनुपस्थित रहे थे। इनमें तिलकराज बेहड़ और राजेंद्र भंडारी के नाम शामिल हैं। अगर यह माना जाए कि अवैध हुआ एक विधायक का वोट भी कांग्रेस का था,तो फिर भी कांग्रेस के एक विधायक ने क्रास वोटिंग की।



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