एनटीन्यूज़: वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में आज दिनांक 13 अगस्त, 2021 को केंद्रीय खान योजना एवं डिजाइन संस्थान लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल), रांची, झारखंड के अधिकारियों के लिए आयोजित ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन और पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं के विशेष संदर्भ में वन एवं वन्यजीव संरक्षण‘ पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। श्री एस.डी. शर्मा भा.व.से., उप महानिदेशक (अनुसंधान एवं प्रशासन), आईसीएफआरई देहरादून मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र के साथ प्रजातियों के जुड़ाव के महत्व एवं प्रशिक्षण विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर दिया कि विभिन्न खनन गतिविधियों के तहत काफी क्षेत्र है जिसे वनस्पति कवर के अंतर्गत लाया जा सकता है और 2030 तक देश के अतिरिक्त कार्बन सिंक लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण मदद कर सकता है। ये जलाशय भौतिक और जैविक तंत्र के माध्यम से वातावरण को कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत कर सकते हैं। वन अनुसंधान संस्थान ने अपनी तकनीकी सहायता प्रदान की है और देश के विभिन्न हिस्सों जैसे रॉक फॉस्फेट खदान, चूना पत्थर की खदानों, यूरेनियम खदानों, लौह अयस्क खदानों, सड़क धातु और चिनाई वाले पत्थर की खदानों एवं अधिक खदान वाले क्षेत्रों को सफलतापूर्वक बहाल किया है।

उन्होंने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए जैव विविधता, मृदा प्रबंधन और कार्बन कैप्चरिंग को बढ़ाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम तैयार करने और संचालित करने के अपने दृष्टिकोण को भी साझा किया। उन्होंने आगे दोहराया कि इस तरह की गतिविधियां कोयला खदानों के प्रबंधन के लिए क्षमता निर्माण और हरित आवरण बढ़ाने एवं प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन के लक्ष्य को प्राप्त करने में उपयोगी होंगी।

श्री सुधीर कुमार उप महानिदेशक (विस्तार), ने खान पर्यावरण-बहाली पर विभिन्न आईसीएफआरई प्रौद्योगिकियों को साझा किया। उन्होंने बताया कि आईसीएफआरई सभी हितधारकों हेतु पुनस्थापन एवं प्रबंधन के लिए विकसित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का विस्तार करने के लिए हमेशा तैयार है।

डॉ. विजेंद्र पंवार, प्रमुख, वन पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन प्रभाग ने पाठ्यक्रम का विस्तृत विवरण पर प्रस्तुति दी तथा विशेषज्ञों ने प्रशिक्षुओं को बहुपयोगी जानकारियों पर व्याख्यान दिए।

समापन समारोह में सहायक महानिदेशक ईआईए, समूह समन्वयक अनुसंधान, विभिन्न प्रभागों के विभागाध्यक्ष और वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग के वैज्ञानिक और कर्मचारी उपस्थित थे।

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