उत्तराखंड: राज्य सरकार द्वारा वर्ष 14 अगस्त 2023 को केंद्र सरकार के मानको के अनुसार कक्षावार आयु सीमा तय कर दी गई थी। जिसमें तय किया था कि विद्यार्थियों को पहली कक्षा में एडमिशन तभी मिलेगा, जब उनकी उम्र नया सत्र शुरू होने से पहले छह साल पूर्ण हो चुकी हो।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छह साल से कम उम्र के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश में छूट देने के शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।

राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने की कारण शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए निर्वाचन विभाग से अनुमति ली जा रही है।

जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग के डीजी शिक्षा बंशीधर तिवारी द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है, कि देहरादून सीएम कार्यालय से प्रस्ताव स्वीकार किए जाने की फाइल शिक्षा विभाग को मिल गई है।

उत्तराखंड शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव के लागू होने से राज्य के कई बच्चे जिन्होंने नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी कक्षा का कम आयु में पास कर ली है, ऐसे छात्रों को पहली कक्षा में एडमिशन करने के लिए छह साल की आयु की बाधा नहीं रहेगी। कम उम्र में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी कक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को प्रथम श्रेणी में छह वर्ष की आयु पूरी करने के मानक नियम से छूट मिलेगी, और वे छात्र इसी सत्र में पहली कक्षा में एडमिशन ले पाएंगे।

मानकों के अनुसार छह वर्ष तय है आयु

गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 14 अगस्त 2023 को केंद्र सरकार के मानको के अनुसार कक्षावार आयु सीमा तय कर दी गई थी। मानकों के अनुसार छात्र-छात्राओं को पहली कक्षा में एडमिशन तभी मिलेगा, जब छात्र- छात्रा की उम्र नया सत्र शुरू होने से पहले एक अप्रैल को छह साल पूर्ण हो चुकी हो।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रीप्राइमरी की कक्षाओं के फार्मूले के कारण यह नियम लागू किया गया था। राज्य में यह नियम लागू होने से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के एडमिशन पर संकट आ गया। ऐसी स्थिति में कई अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से इस बारे में शिकायत की।

जिस कारण से बीते कुछ समय पहले ही डीजी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने बच्चों की आयु सीमा में रियायत का प्रस्ताव उत्तराखंड सरकार को भेजा था। बताया जा रहा है कि सीएम पुष्कर धामी ने शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

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