राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा के शोध एवं विकास प्रकोष्ठ एवं राजकीय महाविद्यालय, अन्ता के संयुक्त तत्वावधान में आज शोध प्रविधि राष्ट्रीय कार्यशाला का ऑनलाईन आयोजन किया गया। जिसका विषय ‘प्राक्कल्पना निर्माण एवं परीक्षण’ रहा। इस कार्यशाला की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. सीमा चौहान ने की।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर विजय पंचोली, सहायक निदेशक कोटा परिक्षेत्र-कोटा, सह अध्यक्ष डॉ. फातिमा सुल्ताना, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय-अंता, मुख्य वक्ता डॉ. मीनू माहेश्वरी, सह आचार्य एवं विभागाध्यक्ष, वाणिज्य एवं प्रबन्धन विभाग, कोटा विश्वविद्यालय-कोटा रहीं।

स्वागत भाषण में शोध एवं विकास प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. टी.एन.दुबे ने कहा कि शोध एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है लेकिन रोमांचक भी है। यह हमें संभावनाओं की ओर ले जाती है। उन्होंने अनेक उदाहरणों द्वारा शोध की प्रक्रिया में प्राक्कल्पना के महत्व को समझाने का प्रयास किया।

विषय प्रवर्तन डॉ. प्रवीण कुमार सह संयोजक अंता महाविद्यालय ने किया। डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा कि हमें वांछनीय परिणाम देने वाली प्राक्कल्पना का निर्माण करना चाहिए, प्राक्कल्पना साधारण, समझने योग्य और किसी एक विषय पर केन्द्रित होनी चाहिए।

इस कार्यशाला में केन्द्रीय वक्तव्य प्रोफेसर अनुराग द्विवेदी, दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय-गोरखपुर ने दिया। प्रोफेसर द्विवेदी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यशाला का विषय बहुत समीचीन है। शोध की दृष्टि का प्राक्कल्पना शोध की रीढ़ की हड्डी है। उन्होंने अनेक उदाहरणों के द्वारा प्राक्कल्पना की अवधारणा को समझाया। उन्होंने कहा कि प्राक्कल्पना का निर्माण एवं सृजन सैद्धान्तिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

कार्यशाला की मुख्य वक्ता डॉ. मीनू माहेश्वरी ने कहा कि प्राक्कल्पना निर्माण विषय शोध के क्षेत्र में एक उपयोगी विषय है। उन्होंने शोध प्रक्रिया के विभिन्न सोपानों पर विस्तृत प्रकाश डाला और प्राक्कल्पना निर्माण की आवश्यकता और महत्व को समझाया।

इस ऑनलाईन राष्ट्रीय कार्यशाला में राजकीय कला कन्या महाविद्यालय, कोटा एवं अन्ता महाविद्यालय के 85 शोध पर्यवेक्षकों और कोटा विश्वविद्यालय, कोटा के शोधार्थियों ने सहभागिता की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. सीमा चौहान ने कहा कि यह कार्यशाला शोधार्थियों के लिए बहुत ही ज्ञानवर्धन और उपयोगी सिद्ध होगी।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीपा स्वामी ने किया।

About The Author