अनूप कुमार, हरिद्वार: गंगा जी की पतित पावनी नगरी हरिद्वार में होने वाले काँवड़ मेले को , दुनिया का सबसे बड़ा मेला बोला जाये तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी । इसे मेला न कहकर, भगवान शंकर की तपस्या यात्रा कहा जाये तो उचित होगा।

यद्यपि सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय और अटूट साधना का महीना होता है। कहते है कि भगवान शंकर को अगर गंगा जल का स्नान मिल जाये तो वो खूब प्रसन्न होते है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है ।

Img 20240731 Wa0030

इस महीने श्रद्धालुओं की भक्ति चरम सीमा पर होती है। शिव भक्त भोले की भक्ति में रम जाते हैं। इस कावंड़ तपस्या यात्रा में आने वाले श्रद्धालु या इसको देखने वाले श्रद्धालु चाहे वो पुरूष हो या स्त्री सभी को बोला जाने वाला नाम भोला और भोली होता है । भोला और भोली नाम की संख्या करोड़ों में होती है यह भी दुनियाभर में एक अचम्भा ही है ।

Img 20240731 Wa0029

ऐसी बहुसंख्यक भक्ति शायद ही दुनिया के किसी कोने में दिखाई दे , दिव्यांग भोले भी बहुत बड़ी संख्या में आते है जैसे कोई ट्राई साईकल पर, कोई एक पैर वाला , कोई एक हाथ वाला, कोई बोल न पाने वाला , तरह तरह के दिव्यांग आदि , यहाँ बुजुर्ग व बच्चे भोलो की भरमार होती है , यहाँ देखने को मिलती है माँ की भक्ति व सच्ची ममता व माँ की शक्ति , माँ छः महीने से लेकर एक साल के बच्चे को गोद में उठाकर ले आती है ,नंगे पैर चलने वालों की संख्या भी बहुत अधिक होती है ।

Img 20240731 Wa0031

100, 200, 300 किलोमीटर चलना आम बात जैसा है । इस तरह से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस प्रकार की भक्ति पूरे ब्रह्मांड में देखने को कहीं नही मिल सकती , अपने शरीर को कष्ट देकर 5 किलो से लेकर 100 किलो तक प्रति भोला या भोली गंगा जल लेकर अपने गंतव्य को रवाना होते है । 100 किलो से ऊपर जल को दो भोले उठाते है ।

भोले देश के कोने कोने से आते है दिल्ली, उत्तरप्रदेश , हरियाणा आदि के भोले सबसे अधिक संख्या में आते है । मध्यप्रदेश, पंजाब , राजस्थान , महाराष्ट्र आदि से भी आते है ।

यह बात बिल्कुल सत्य है कि जो भी मनुष्य इनको चलते हुए देखता है उसके मन में उसी समय भक्ति का आगमन हो जाता है । उसका विचार व हृदय भक्ति में लीन हो जाता है , हरिद्वार ही नही अपितु जिस भी शहर से इन भोलो की तपस्या यात्रा निकलती है इनको देखते हुए सबके मन में इनकी सेवा करने की इच्छा उत्पन्न हो जाती है ।

हरिद्वार ही नही सभी शहरों की सभी संस्थाएं इनकी सेवा किसी न किसी रूप में अवश्य करती है ।