डॉ संदीप भारद्वाज, एनटीन्यूज़: उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार , प्रदेश में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से प्रतिवर्ष अनेक शैक्षिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती है, इसी परिपेक्ष में इस वर्ष महाकवि कालिदास संस्कृत सप्ताह महोत्सव 2020-21 का आयोजन किया गया।

जनपद स्तर पर उत्तरकाशी जिले में यह पर राजकीय महाविद्यालय बड़कोट उत्तरकाशी के तत्वाधान में समारोह पूर्वक मनाया गया। इसमें अकादमी के सचिव डॉ आनंद भारद्वाज मुख्य अतिथि थे।

मीडिया प्रभारी, डॉ दीप्ति बगवाड़ी, ने बताया कि प्रस्तुत अंतर्जातीय व्याख्यानमाला में वी श के च राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर में कार्यरत प्रोफेसर राधेश्याम गंगवार, विभाग प्रभारी, संस्कृत विभाग द्वारा मुख्य वक्ता के रूप में महाकवि कालिदास के साहित्य में सामाजिक चिंतन विषय पर अपना गवेषणापूर्ण व्याख्यान दिया गया।

उन्होंने कहा कि कालिदास कालीन समाज में धर्म की प्रधानता है । ऋषि ,मुनि, तपस्वी और विद्वान शिक्षक समाज के पथ प्रदर्शक हैं। समाज में महिलाओं की प्रतिष्ठा है । योगी, तपस्वी, स्त्रियां और पुरुष ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं । व्रत, तप, तीर्थ,दान तथा यज्ञ में विश्वास करते हैं । प्रत्येक घर में वेदों के विद्वान ब्राह्मण यज्ञशालाओं में यज्ञ का संपादन करते हैं। ग्रहों के प्रभाव को स्वीकार करते हैं और उन की शांति के लिए सतत प्रयत्नरत होते हैं । प्रत्येक पवित्र कर्म, संस्कार आदि बिना अग्निहोत्र के संपन्न नहीं होता है। तप एवं त्याग का महत्व सर्वोपरि है। योगी जन एकांत तपोवन में तप साधना से अतीत ,वर्तमान तथा भविष्य के विषयों को भी जानने की सामर्थ्र्थ रखते हैं।

इस प्रकार महाकवि कालिदास के साहित्य में समाज की वर्ण व्यवस्था धार्मिकता,गुरुकुल शिक्षा,तप साधना सांस्कृतिक परंपरा, महोत्सव प्रियता आदि विषयों का यथार्थ स्वरूप प्रस्तुत किया गया है । वस्तुतः कालिदास कालीन समाज भारतीय प्राचीन समृद्ध समाज का प्रतिनिधित्व करता है जो आज भी प्रासंगिक है।कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर अरविंद कुमार तिवारी ने संगोष्ठी में उपस्थित विद्वत जनों का आभार ज्ञापित किया। संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ भारती द्वारा किया गया।

डाकपत्थर महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर गोविंद राम द्वारा प्रोफ़ेसर राधेश्याम गंगवार जी को शुभकामना एवं बधाई प्रस्तुत की गई।

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