हरिद्वार: गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान विभाग में ज्ञान सरिता ऐसी प्रवाहित हुयी है वहां मौजूद छात्र गंगा ज्ञान में डुबकी लगाते रहे। मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा अरूण कुमार की पहल व निर्देशन में आयोजित हुये कार्यक्रम में गुरूकुल कांगड़ी की परंपरा, उद्देश्य पर गहराई से प्रकाश डाला गया।
जीवन के तमाम पहलुओं पर अमृत कलश छलकता रहा और हर कोई ज्ञान के प्रकाश से नयी ऊर्जा का संचार करता रहा।
गंगा की गोद हरिद्वार में स्थित गुरूकुल कांगड़ी विवि के मनोविज्ञान विभाग के सभागार में आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत वेद-ऋचाओं की दिव्य ध्वनियों से हुआ। विवि से परा-स्नातक पासआउट मनीष झा ने वेद-ऋचाओं की ध्वनि से आध्यात्मिक चेतना का संचार किया।
इसके बाद हिंदी विभाग के प्रवक्ता व प्रख्यात कवि डा अजीत सिंह तोमर ने गुरूकुल की परंपराओं, उद्देश्यों पर गहरायी से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरूकुल व्यक्ति को श्रेष्ठ नहीं बल्कि सर्वश्रेष्ठ बनाता है। कहा कि गुरूकुल पुण्य की पाठशाला है और यहां छात्रों में संस्कारों के बीज बाये जाते हैं।
वेद विभाग के डा दीन दयाल ने वेदों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये हुये कि वेद हमें जीवन जीवन की कला, सिद्धांत सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदोें के ज्ञान से वसुधैव कुटुम्बकम् की कल्पना साकार हो सकती है।
इसी क्रम में संस्कृत विभाग के प्रो वेद व्रत ने भी गुरूकुल की महिमा व गरिमा का बखान किया और कहा कि भारत को गुरू गुरू बनाने की दिशा में गुरूकुल के छात्र अपनी अहम भूमिका निभायेंगे।
कार्यक्रम में दर्शन विभाग के डा बबल वेदालंकार, मनोविज्ञान विभाग के डा दीपक, मनोविज्ञान विभाग के डा नवीन पंत आदि ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संयोजन मनोविज्ञान के डा मनोज चैहान व संचालन मनोविज्ञान परास्नातक प्रथम वर्ष के छात्र मलखीत सिंह ने किया।