संजीव शर्मा एनटीन्यूज़, 23 दिसंबर 2021:  उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, देहरादून (यूकॉस्ट) (पीएमयू) एवं उत्तराखंड जल संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में क्षेत्रीय आउटरीच अभिविन्यास प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग में किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय परिसर के प्राचार्य प्रोफेसर पंकज पन्त, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर संजय गुप्ता, विभागायक्ष , बायो-साइंस विभाग, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट, देहरादून, अतिविशिष्ट अतिथि प्रोफेसर विनय सिन्हा, विभागाध्यक्ष नेचुरल रिसोर्स एवं अप्लाइड साइंस विभाग, टेरी यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली व कार्यशाला आयोजक व यूकॉस्ट के जनपद देहरादून के समन्वयक डॉ प्रशांत सिंह तथा कार्यक्रम संयोजक प्रो गुलशन कुमार ढींगरा व डीन कला संकाय एवं विश्वविद्यालय परिसर के विभिन्न विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

प्राचार्य प्रो पंकज पंत ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि जल ही जीवन है, अतः जल को बचाना हमारा कर्तव्य है, उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण करना आवश्यक है वरना एक समय ऐसा आयेगा जब जल नही रहेगा और पृथ्वी खत्म हो जाएगी। उन्होंने पेयजल कृषि उपयोग के लिए जल, ओद्योगिक संस्थानों में प्रयुक्त होने वाले जल आदि की आवश्यकताओं के अनुरूप जल की उपलब्धता व उपयोग पर जूर दिया.

प्रो० संजय गुप्ता स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून ने जल के बायोलॉजिक जांच बड़े स्तर पर नियमित अंतराल पर करने को आवश्यक बताया।

विशिष्ट अतिथि टेरी विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने जल सुरक्षा योजना बनाकर सतही व भूगर्भीय जल की लंबे समय तक जांच को जन स्वास्थ्य के लिए जरूरी बताते हुए अपना ही जाने पर जोर दिया

कार्यक्रम संयोजक प्रो० गुलशन कुमार ढींगरा ने  कहा कि बिना जल के जीवन संभव नहीं है, इस कार्यशाला से छात्रों में एक जागृति आएगी, जल का संरक्षण हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो विनय सिन्हा ने कहा कि स्वच्छ पानी अच्छे स्वास्थ्य का परिचायक है व उन्होंने उत्तराखंड के जल स्रोतों के प्रदूषण के कारको पर प्रकाश डालते हुए उनके सुरक्षित रखने के तरीके पर अपना विशेषज्ञ व्याख्यान दिया।
प्रोफ़ेसर संजय गुप्ता ने अपने व्याख्यान में कहा कि पानी मानव में उर्जा तंत्र को संचालित करता है इसलिए पानी की गुणवत्ता व सुरक्षा बेहद जरूरी है। डॉ गुप्ता ने पानी में मौजूद जैविक रसायनों के बारे में वहां मौजूद प्रतिभागियों को विस्तारपूर्वक सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की।

उत्तराखंड जल संस्थान के अभियंता श्री अनिल नेगी ने उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा ऋषिकेश क्षेत्र में जल गुणवत्ता पर किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया।
कार्यशाला समन्वयक एवं डीएवी पीजी कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रशांत सिंह ने अपने तकनीकी व्याख्यान में जल स्रोतों की गुणवत्ता वह सुरक्षा पर संबोधित करते हुए बताया कि अब तक प्रदेश के 10 जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को एनएबीएल की मान्यता प्राप्त हो चुकी है तथा शेष प्रयोगशालाओं का जल्द ही प्रमाणीकरण हो जाएगा।
कार्यशाला में राज्य स्तरीय जल गुणवत्ता प्रयोगशाला के तकनीकी प्रबंधक डॉ विकास कंडारी ने फील्ड टेस्टिंग किट के द्वारा प्रतिभागियों को जल में मौजूद जल गुणवत्ता के सभी भौतिक- रासायनिक एवं जैविक मानको का प्रशिक्षण दिया, जिसमे अर्चित पाण्डेय ने महत्वपूर्ण प्रयोग कर जल नमूने की जांच करके दिखाई ।

इस कार्यक्रम में ऋषिकेश शहर के श्री दयानंद पब्लिक स्कूल, अगापे मिशन स्कूल, श्री भारत मंदिर पब्लिक स्कूल, भरत मंदिर इंटर कॉलेज, एम्स ऋषिकेश, मोर्डेन इंस्टिट्यूट, आदि स्कूलों के छात्र-छात्राओं व अध्यापकों तथा विश्वविद्यालय परिसर के NSS, M Sc. व BMLT के छात्रों ने प्रतिभाग किया ।