उठो सुनो प्राची से उगते सूरज की आवाज़।

अपना देश बनेगा सारी दुनिया का सरताज़ ।।

युवा मित्रों हम भारतीयों को तीन सौभाग्य मिले हैं!

पहला सौभाग्य मनुष्य जीवन,

दूसरा सौभाग्य भारत भूमि में जन्म,

तीसरा सौभाग्य विराट सांस्कृतिक विरासत को पढ़ने आत्मसात करने का सुअवसर..

दो तो पूर्व जन्मों के संचित संस्कारों से सहजता से प्राप्त हो गए किंतु तीसरे सौभाग्य को प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर प्रयास करने होंगे सतत हमारे आर्ष ग्रंथों, वेद, पुराण, दर्शन, श्रीमद्भगवद्गीता , रामायण, रामचरित मानस, प्रज्ञा पुराण, अखंड ज्योति पत्रिका सहित अनेक सांस्कृतिक पत्र पत्रिकाओं का स्वाध्याय, अध्ययन, चिंतन मनन करना होगा।

युवाओं, बालकों, विद्यार्थियों हमें अपनी सबसे प्राचीन देव संस्कृति, नव संवत्सर के विषय में जहां से भी जानकारी मिले उसे डायरी में नोट करके रखना चाहिए और उन लोगों तक पहुंचाना चाहिए. जिनके पास जानकारी नहीं है ..

ऋषियों के तप त्याग तेज गुण मानव धर्म महान की ।

भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान का संदेश लेकर

मुझ अकिंचन को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वेदमूर्ति तपोनिष्ठ आचार्य श्रीराम शर्मा जी, वंदनीया माता भगवती देवी जी, श्रध्देय डॉ 0 प्रणव पण्डया जी एवं श्रद्धेय शैल बाला जी के संरक्षण में भारत, इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, नेपाल आदि देशों में यात्रा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ! वहां संगीत के माध्यम से भारतीय देव संस्कृति का प्रचार प्रसार सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ

अतः मैं अभिभूत होकर अपनी महान संस्कृति और नव संवत्सर के विषय में संक्षिप्त जानकारी प्रेषित करने प्रयास रहा हूं..

युवाओं किशोरों इस बार नव वर्ष विक्रम संव२०८१( 2081) युगाब्द ५१२६ (5126) का प्रारंभ चैत्र शुक्ल एकम 9 अप्रैल 2024 को हो रहा है। अतः भारत व भारत से बाहर रह रहे भारतीयों को भारतीय नव संवत्सर 2081 की हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएँ!!

भारतीय देव संस्कृति की काल गणना एवं ज्योतिष शास्त्र के प्राचीनतम ग्रंथों के सनातन प्रमाणों के अनुरूप चैत्र शुक्ल एकम, वर्ष प्रतिपदा है।

सृष्टि के निर्माता श्रध्देय ब्रम्हा जी द्वारा घोषित सर्वश्रेष्ठ तिथि होने से इसे प्रथम पद प्राप्त हुआ है इसलिए इसे प्रतिपदा कहते हैं।

यह दिवस हर भारतीय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण उल्लास और गौरव का पर्व दिवस है।जिस प्रकार ईसा( आग्ल ) चीन, अरब का केलेंडर है ठीक उसी प्रकार राजा विक्रमादित्य के काल में भारतीय वैज्ञानिकों ऋषियों मनीषियों ने ईसा, चीन और अरब से पहले भारतीय कैलेण्डर तैयार कर इसका शुभारंभ चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को किया।

विक्रम संवत से ही 12 महीने का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन आरंभ हुआ। महीने का लेखा जोखा सूर्य देवता और चंद्रमा देवता की गति से रखा जाता है।

गौरव की बात है कि हमारे भारतीय विक्रम कैलेंडर की मान्यताओं को यूनानियो अरबो अग्रंजो व भारत के अन्य प्रांतों ने अपनाया।

उल्लेखनीय है कि विक्रम संवत से पूर्व ६६७६(6676) ईसवीं पूर्व आरंभ हूए सबसे प्राचीन सप्तऋषि संवत को सबसे प्राचीन संवत माना जाता है जिसका श्री गणेश ३०७६ पूर्व हुआ ऐसी मान्यता है।

विक्रम संवत ही नव संवत्सर है। सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन, अधिमास संवत्सर के ये पांच प्रकार है। विक्रम संवत में इन पांचों का समावेश है। विक्रम संवत का शुभारंभ 57 इसवी पूर्व हुआ इसके बाद 78 ईसवीं में शक संवत की शुरुआत हुई।

*नव वर्ष के इस दिवस का ऐतिहासिक महत्व….

-सतयुग में ब्रम्हा जी ने इसिदिन सृष्टि की रचना का श्रीगणेश किया था

-इसिदिन समूचे विश्व को अपना परिवार मानने वाले सृष्टि के प्रथम राष्ट्र भारत वर्ष का उदय हुआ।

त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था व भगवान राम इसी दिन वन नरो (वानरों) की सेना का गठन किया गया जिनके द्वारा राक्षसों का अंत हुआ। अधर्म पर धर्म की विजय और राम राज्य की स्थापना हुई।

द्वापर युग में महाभारत में धर्म युद्ध में धर्म विजय हुआ तथा राजसूय यज्ञ के साथ युधिष्ठिर संवत का शुभारंभ हुआ…

*वरुणदेव अवतार भगवान झूलेलाल का जन्मदिन भी इसी दिन हुआ इस दिन को चेटीचंड के रूप में मनाया जाता है।

वर्ष प्रतिपदा से नौ दिवसीय शक्ति उपासना का नव रात्रि पर्व की स्थापना इसी दिन होती है।

इसी दिन श्रध्देय स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना की।

भारतीय काल गणना प्राचीनतम केंद्र बिंदु क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित अवंतिका (उज्जैन) पृथ्वी व आकाश की सापेक्षता में एक दम मध्य में स्थित है इसीलिये आदिकाल से काल चक्र प्रवर्तक भोलेनाथ भगवान शिव काल की सबसे बड़ी इकाई के अधिष्ठाता होने से महाकाल के रूप में प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित हूए।

मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मेरी जन्मभूमि ढाबलाधीर कर्म भूमि शुजालपुर व उज्जैन उज्जैन संभाग में है।

” भारत के हित जो जीता भारत के हित जो मरता है! उसका हर आंसू रामायण प्रत्येक कर्म ही गीता हैं,,

अपनी मातृभूमि भारत के लिये और बिना भेद-भाव मानव मात्र की सेवा के लिए तन मन धन से समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RRS के संस्थापक श्रद्धेय डॉ ०केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म इसी पवित्र दिन हुआ।

विश्व कल्याण में सक्रिय अक्षपाद महर्षि गौतम का जन्म भी इसी दिन हुआ।

विक्रम संवत शौर्य का पर्व है

कलयुग में शकारि विक्रमादित्य द्वारा नये संवत का शुभारंभ

विदेशी आक्रमणकारियों आक्रांताओ से देव भूमि भारत को मुक्त कराने का प्रतीक हुआ।

चैत्र मास (मार्च व अप्रैल) में पृथ्वी माता धन धान्य से परिपूर्ण होती है फसलें कट कर खेतों से खलिहानों में आ जाती है। हमारे अन्न देवता किसान श्रम देवता श्रमिक और परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं युग निर्माता अध्यापक राष्ट्र के भाग्य विधाता विद्यार्थी

सभी विशेष सक्रिय हो जाते हैं।

ठंड की ठिटुरन से मुक्त हो कर प्रकृति नृत्य करने लगती है। जन जन में चुस्ती आ जाती है।

चैत्र शुक्ल एकम से दिन बड़े होने और रात छोटी होने लगती है।

युवाओं के लिए 8 अप्रैल को सायं आकर्षक नव वर्ष मेला….

समूचे राष्ट्र के साथ कोटा राजस्थान में सनातन हिंदू नव संवत्सर आयोजित किया जा रहा है समिति सेवन वन्डर कौटडी चौराहे के पास 8 अप्रैल को अपरान्ह पश्चात साढ़े चार बजे से नव वर्ष मेला आयोजित करने जा रही है।

इस एक दिवसीय आयोजन में सायं भारतीय कला संस्कृति साहित्य स्टाल, व्यंजन स्टाल,

सभी होगें आपकी जिज्ञासाओं का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष समाधान भी होगा।

कोटा से बाहर भी आप अपने गांव गांव शहर शहर घर घर में दीप दान 7 अप्रैल से 9 अप्रैल तक भारतीय संस्कृति के अनुसार उत्साहित होकर उत्सव मनाये।

नौजवानों उठो वक्त यह कह रहा ।

खुद को बदलो जमाना बदल जायेगा ।।

“दो ही चीजें हमारे जीवन में, सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, हमारे कर्म और संस्कार। हमारे हर कर्म और संस्कार आत्मा में दर्ज होते जा रहे हैं। याद रहे आत्मा एक क्षण में शरीर छोड़ देंगी और अपने साथ दो ही चीजें लेकर जाएगी वो है हमारे सुकर्म और सुसंस्कार। बाकी सब पीछे छूट जाएगा वो चाहे उच्च शिक्षा हो या कमाया गया धन हो,,

 

देवेंद्र कुमार सक्सेना अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़ प्रांत राजस्थान