धनौरी पी.जी. कॉलेज, हरिद्वार के शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा आई.आई.टी. रुड़की के सहयोग से “बौद्धिक संपदा अधिकार” (Intellectual Property Rights – IPR) विषय पर एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों एवं शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व, उनके संरक्षण एवं उपयोगिता के प्रति जागरूक करना था।

इस अवसर पर आई.आई.टी. रुड़की के प्रबंधन विभाग से डॉ. उषा और डॉ. गुंजन ने विशिष्ट अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित होकर अपने विस्तृत ज्ञान और अनुभव साझा किए।

उन्होंने बताया कि बौद्धिक संपदा अधिकार न केवल अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने शोधकर्ताओं, शिक्षकों और विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अधिक सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित किया।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. विजय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार वर्तमान समय की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता हैं, जिनका सही प्रयोग हमें शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के संकाय सदस्य अत्यंत ऊर्जावान एवं समर्पित हैं, और भविष्य में इस क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे।

कार्यक्रम का सफल संचालन शिक्षा शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अलका सैनी ने किया। उन्होंने विषय की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बौद्धिक संपदा अधिकारों के विभिन्न पहलुओं की संक्षिप्त जानकारी दी।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. विजय कुमार ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मान किया। इसी क्रम में डॉ. सुनीता और डॉ. सुशील ने भी प्राचार्य महोदय का पुष्प गुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी सहायक आचार्य उपस्थित रहे और बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई। सभी ने इस ज्ञानवर्धक सत्र की सराहना करते हुए इसे शोध एवं शिक्षण प्रक्रिया के लिए अत्यंत लाभकारी बताया।

इस जागरूकता कार्यक्रम ने अनुसंधान, नवाचार और बौद्धिक संपदा संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम स्थापित किया। महाविद्यालय परिवार इस सफल आयोजन के लिए शिक्षा शास्त्र विभाग एवं सभी प्रतिभागियों को बधाई देता है।

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