• छात्रों ने स्थानीय संसाधनों पर आधारित स्टॉल लगाकर दिखाई नवाचार व आत्मनिर्भरता की दिशा

नैनबाग, टिहरी गढ़वाल: नैनबाग डिग्री कॉलेज में दिनांक [29 मार्च से अप्रैल 2025 तक] ‘देव भूमि उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के अंतर्गत 12 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण एवं पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं में स्वरोजगार की संभावनाओं को बढ़ावा देना तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रशिक्षित करना रहा।

कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखंड सरकार तथा उद्यमिता विकास संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से किया गया, जिसमें छात्र छात्राओं को व्यावसायिक कौशल, नवाचार, विपणन तकनीक, स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) की जानकारी दी गई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अनुप बडोनी (निदेशक एवं संस्थापक, प्लांटिका-IARD) उपस्थित रहे। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “आज का युवा यदि स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीकों से जोड़कर कार्य करे, तो वह न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर सृजित कर सकता है।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ब्रीश कुमार ने की। उन्होंने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण न केवल छात्रों में व्यावसायिक जागरूकता पैदा करते हैं, बल्कि उन्हें समाज में एक सक्षम एवं सशक्त भूमिका निभाने के लिए तैयार करते हैं।

कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के IQAC समन्वयक श्री परमानंद चौहान ने भी छात्रों को उद्यमिता के महत्व पर प्रेरित किया। उन्होंने छात्रों को स्थानीय संसाधनों के उपयोग और नवाचार के माध्यम से स्वरोजगार की दिशा में अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने कहा की नैनबाग महाविद्यालय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को ‘रोजगार मांगने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बनना’ की सोच के साथ आगे बढ़ाने हेतु संकल्पबद्ध है। उनका मार्गदर्शन छात्रों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा।

कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. मधु बाला जुवाँठा एवं कोऑर्डिनेटर देव भूमि उद्यमिता योजना ,श्री चंदन कुमार (केन्द्र प्रमुख, कृषि दर्पण-CAIRT, देहरादून) ने भी छात्रों को विस्तृत मार्गदर्शन दिया। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे शिक्षा के साथ-साथ उद्यमिता की ओर भी कदम बढ़ाएं और अपने गांव, जिले तथा राज्य के आर्थिक विकास में भागीदार बनें।

नोडल अधिकारी डॉ. जुवाँठा ने बताया कि कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण झलक छात्रों द्वारा आयोजित स्टॉल प्रदर्शनी रही, जिसमें उन्होंने अपने पारंपरिक एवं सांस्कृतिक ज्ञान का उपयोग करते हुए विभिन्न स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनी में निम्नलिखित वस्तुएं मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं कोदे के आटे से बना पौष्टिक केक, जो स्थानीय अनाजों के प्रयोग से स्वास्थ्यवर्धक विकल्प प्रस्तुत करता है।
चीड और गुलाब के फूलों से बने सुंदर बुके, जो स्थानीय वनस्पति संसाधनों की उपयोगिता को दर्शाते हैं।
पीसा हुआ पहाड़ी नमक, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
गिलोय के उत्पाद, जिसे आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
हस्तनिर्मित कलाकृतियां और हस्तलिपि के उत्पाद, जो पारंपरिक हस्तकला की जीवंतता को दर्शाते हैं।

इस प्रदर्शन ने छात्रों की नवाचार क्षमता, रचनात्मकता और व्यवसायिक दृष्टिकोण को उजागर किया।

प्राचार्य डॉ. ब्रिश कुमार ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और कहा कि महाविद्यालय भविष्य में भी इस प्रकार के व्यावसायिक एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का आयोजन करता रहेगा।
समापन समारोह के अंत में नोडल अधिकारी डॉक्टर जुवाँठा ने सभी अतिथियों,प्रशिक्षकों, महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं प्रतिभागी छात्र छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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