पंडित किशन जी की तबले की थाप से गूंज उठा कला दीर्धा का मुक्त आकाश ….

कला दीर्धा कोटा में केशव कला मंडल कोटा के तत्वावधान में शास्त्रीय संगीत समारोह आयोजित हुआ आरंभ मैं विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक डॉ रोशन भारती एवं पुलिस अधिकारी डॉ 0 दीप्ति जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित किया ।

इस अवसर पर कला पुरोधा सुधा अग्रवाल कला पुरोधा पंडित महेश शर्मा, प्रो0 पुनीता श्रीवास्तव, तबला वादक श्री देवेंद्र सक्सेना, श्री कपूर गंधर्व उपस्थित थे ..

कार्यक्रम की शुरुआत धारवाड़ से आये किराना घराने के युवा गायक हुल्लास पुरोहित के शास्त्रीय गायन से हुई… उन्होंने राग विहाग में बड़ा खयाल में सदारंग की बंदिश ” कैसे सुख सोहे नींदरिया,, विभिन्न मधुर आलाप तानों के साथ प्रस्तुत की छोटा ख्याल तीन ताल में…लंगर ढीठ मग मग रोकत है तथा दादु वाणी” तू हे तू हे तेरा मैं नहीं मैं नहीं मेरा ” से अपने सुरीले गायन का समापन किया श्रोताओं ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया तबले पर दीपक सिंह एवं हारमोनियम पर तुलसीदान वर्मा ने एवं तानपुरे पर हरीश सोनी ने सुरीली संगत की

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बनारस घराने के प्रसिद्ध तबला वादक पंडित किशन राम दोहकर को इस अवसर पर केशव कला मंडल एवं संगीत गुरूकुल कोटा द्वारा ” ताल ऋषि सम्मान ” सम्मान से विभूषित किया

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पंडित किशन जी का स्वतंत्र तबला वादन…..

उन्होंने अपने स्वतंत्र तबला वादन में बनारस घराने की उठान, बोल बांट, गत, फर्द, चक्करदार तिहाईयां,रेला, नाधिंधिंना, की प्रस्तुति देकर अपने दादा गुरु पंडित अनोखे लाल जी एवं गुरु राम जी मिश्र की याद ताज़ा कर दी।

इस अवसर पर केशव कला मंडल कोटा के रविंद्र गौतम मनीष कुमार शर्मा अनिल शर्मा शिव कुमार शर्मा आदि अतिथियों का स्वागत ।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ 0 रोशन भारती ने अपनी और बनारस की संगीत यात्रा के संस्मरण सुनाते हुए पद्मविभूषण पंडित किशन महाराज के महान व्यक्तित्व के विषय में बताया व तालामृत कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति की प्रशंसा की।

कार्यक्रम का संचालन तबला वादक देवेंद्र कुमार सक्सेना ने किया। आभार मुरारी शर्मा ने किया।

भारतीय ताल वाद्य यंत्र तबला अत्यन्त लोकप्रिय हैं…

पंडित किशन राम दोहकर का साक्षात्कार 

भारतीय शास्त्रीय संगीत, उप शास्त्रीय हो या सुगम संगीत, फिल्म संगीत हो या लोक संगीत सितार हो या सारंगी कथक नृत्य हो या लोक नृत्य गीत हो भजन-कीर्तन अभंग हो या ग़ज़ल कव्वाली सभी में तबला चार चांद लगा देता है

तबले के कई प्रमुख घराने हैं जैसे दिल्ली, लखनऊ, बनारस फर्रुखाबाद, पंजाब, अजराडा, अवधी,

तबला को लोकप्रिय बनाने में सभी घरानों का विशेष स्थान है।

हम यहां बनारस घराने की चर्चा करेंगे बनारसी बाज जोरदार निकास के लिए स्वतंत्र वादन एवं हर प्रकार के गायन वादन नृत्य संगत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पंडित राम सहाय जी इस घराने के प्रवर्तक हैं इस घराने में पंडित भैरव सहाय, पंडित बीरू मिश्र, बाचा मिश्र, पंडित दरगाही मिश्र, कंठे महाराज,पंडित अनोखे लाल, पंडित किशन महाराज, पंडित सामता प्रसाद गुदई महाराज , ल पंडित शारदा सहाय, पंडित राम जी मिश्र,पंडित रंग नाथ मिश्र, पंडित कुमार लाल,पंडित नंदन मेहता आदि कई नाम हैं जो इस संसार को छोड़ चुके हैं।

प्रश्न – वर्तमान समय में तबला के कुशल वादक, प्रचारक लेखकों के विषय में जानकारी प्रदान कीजिएगा

पंडित कुमार बोस, पंडित पूरण महाराज,शीतल मिश्र, रामकुमार मिश्र, पंडित सुख मिंदर सिंह नामधारी, पंडित अरविन्द कुमार आजाद, समर साह, संदीप दास, संजू सहाय, शुभ महाराज, अभिषेक मिश्रा, हिमांशु महंत ,

लेखक व तबला वादको में मृदंग तबला शास्त्री डॉ 0 रामशंकर स्वामी पागलदास, पंडित सत्यनारायण वशिष्ठ, पंडित विजय शंकर मिश्र, डाॅ 0 रेणु जौहरी, डॉ 0 कुमार ऋषितोष श्रीवास्तव, श्री पंडित सुरेश तातेड, श्री देवेंद्र कुमार सक्सेना सहित कई नाम हैं जिन्हें म जानते हैं ।

अन्य घरानों के तबला वादक में उस्ताद अहमद जान थिरकवा,पंडित ज्ञान प्रकाश घोष,पंडित निखिल घोष, उस्ताद अल्ला रख्खा, उस्ताद हबीबउद्दीन,उस्ताद निजामुद्दीन, उस्ताद जाकिर हुसैन, पंडित सुरेश तलवलकर, पंडित स्वपन चौधरी, प्रो 0 सुधीर कुमार सक्सेना, पंडित किरण देशपांडे आदि।