हरिद्वार: पित्र पक्ष में श्रीराम कथा श्रवण अनंत फलदाई है। राम भक्त हनुमान के सम्मुख भगवान श्री राम के चरित्र का गुणगान करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, वहीं राम की भक्ति और हनुमान की शक्ति मनुष्य की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

गौरतलब है कि राधा रासबिहारी मंदिर कनखल हरिद्वार के संस्थापक आचार्य उद्धव मिश्र निरंजनी अखाड़े के स्वामी आलोक गिरी महाराज की प्रेरणा से श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान, नर्मदेश्वर महादेव मंदिर जगजीतपुर, कनखल में श्रीराम कथा का गुणगान कर रहे है। श्रीराम कथा के द्वितीय दिवस पर कथा व्यास आचार्य उद्धव ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा पिता राजा दक्ष के विरोध के बावजूद माता सती ने शिव के साथ विवाह किया। शिव की बारात में भूत, प्रेत, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर शामिल हुए।‌ इससे कुपित होकर राजा दक्ष ने शिव के साथ सभी संबंध समाप्त कर लिए।

इसके बाद राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और शिव को नहीं बुलाया। माता सती शिव की आज्ञा के बिना यज्ञ में पहूंची । वहां पति का अपमान सहन नहीं कर सकी और यज्ञकुंड में आत्मदाह कर लिया। इसके बाद भगवान शिव के आदेश पर वीरभद्र ने यज्ञ को तहस नहस कर दिया और राजा दक्ष का सर काटकर अग्नि में स्वाहा कर दिया। बाद में स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने बकरे का सिर लगाकर राजा दक्ष को पुनर्जीवन दिया। आचार्य उद्धव ने कहा अहंकार के कारण दक्ष का विनाश हुआ, पति की आज्ञा न मानने के सती को आत्मदाह करना पड़ा। क्रोध में शिव ने यज्ञ को तहस नहस करवा दिया। अहंकार, माया और मोह में विनाश के कारक है। श्रद्धा, भक्ति उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। इसलिए मनुष्य को सर्वस्व त्याग कर ईश्वर की शरण में जाना चाहिए।

आचार्य उन्होंने कहा किशरणागत की रक्षा करने के लिए राम भक्त हनुमान सदैव तत्पर रहते हैं। आचार्य उद्धव ने कहा कि राम नाम की महिमा अपरंपार है। राम नाम का जाप करने वाले भक्त के संग सदैव हनुमान जी विराजते हैं। ऐसे भक्तों को भगवान राम की कृपा से हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या को देने के साथ समस्त क्लेशों का हरण करते हैं। भूत, प्रेत, पिसाच का भी भय नहीं रहता। रोग दोष भी रामभक्तों के पास नहीं फटकते।

उन्होंने कहा कि हनुमान जी को जीवित देवता की संज्ञा दी गई है। जो भगवान राम के आशीर्वाद से सदैव भक्तों की रक्षा में लीन रहते हैं। केवल राम नाम का जाप करने से ही मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। इसमें तनिक वही संख्या नहीं है। उन्होंने कहा माया की भाग दौड़ में ऐसे भी लोग हुए, जिन्होंने अपने जीवन काल में एक बार भी राम कथा का श्रवण नहीं किया और माया के पीछे भागते भागते ही उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई। मरणोपरांत भी उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकी। ऐसे में उनके वंशजों के द्वारा राम कथा का श्रवण करने से पूर्वजों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होगी।‌ इसलिए पितरों के निमित्त श्राद्ध पक्ष में राम कथा का श्रवण करना अनिवार्य है। ‌

राम कथा का श्रवण करने बालों में बाबा नीरज गिरी बाबा मनकामेश्वर गिरी दामोदर गिरी रिजवान संजीव राणा पंडित अभय मिश्रा सहित अन्य लोग शामिल रहे।