राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा, टिहरी गढ़वाल के वनस्पति विज्ञान विभाग मे कार्यरत सहायक प्राध्यापक डॉ० भरत गिरी गोसाई ने पुदीना के बारे मे विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि औषधीय गुणो से भरपूर पुदीना का इस्तेमाल सैकड़ों वर्ष पूर्व से भोजन को स्वादिष्ट बनाने एवं आयुर्वेदिक औषधियों के रूप मे प्रयोग किया जाता है।
पुदीना का पौधा का वानास्पतिक नाम मेन्था स्पाइकेटा है और यह लेमिएसी कुल का सदस्य है। पुदीना को दुनिया भर मे अनेक नामो से जाना जाता है। संस्कृत मे पुदीना को पूतिहा, रोचिनी, पोदीनक, गुजराती मे फूदीनो, नेपाली मे बावरी तथा अंग्रेजी मे गॉर्डेन मिंट, लैंब मिंट, स्पिअर मिंट आदि नामो से जाना जाता है।
ऐसा विश्वास किया जाता है कि पुदीना का उद्भव भूमध्यसागरीय बेसिन मे हुआ तथा वहा से ये प्राकृतिक तथा अन्य तरीको से संसार के अन्य हिस्सो मे फैला। वैज्ञानिक तौर पर पुदीने की विश्व मे 24 नस्लें तथा 100 से अधिक प्रजातियां है। विश्व मे सर्वाधिक पुदीने का उत्पादन अंगोला, थाईलैंड एवं चीन मे होता है।
भारत मे उत्तर प्रदेश एवं पंजाब पुदीना उत्पादक प्रमुख राज्य है। वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा सिद्ध हुआ है कि लगभग 14 ग्राम पुदीना की पत्तियो मे 12% विटामिन ए, 8% मैग्नीज, 4% फोलेट, 2% आयरन, 6 कैलोरी ऊर्जा, 1 ग्राम फाइबर तथा पर्याप्त मात्रा मे सोडियम, पोटैशियम, मैग्निशियम तथा कैलशियम पाया जाता है।
पुदीना मेथेनॉल का प्राथमिक स्रोत है। इसमे लगभग 0.4-0.6% तेल पाया जाता है, जिसमे 60-75% मेथेनॉल तथा 25-30% तारपीन तेल पाया जाता है। औषधीय गुणो के कारण पुदीना का रोजाना सेवन करने से अनेक फायदे होते है।
पाचन शक्ति मे कमी के कारण अक्सर सर मे दर्द होता है, ऐसे मे पुदीना की चाय फायदेमंद सिद्ध हो सकती है। पुदीना की पत्तियों का काढ़ा पीने से मुंह के छालों की समस्या ठीक हो सकती है। पुदीना को मिर्च, लौंग, बड़ी इलायची सेंधा नमक एवं जीरे के साथ अच्छे से पीसकर रोजाना 1-5 ग्राम मात्रा का सेवन करने से भूख न लगने की परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।
20-30 मिली० पुदीना के पत्तो का काढ़ा पीने से उल्टी की समस्या से निजात पाया जा सकता है। खानपान मे बदलाव अथवा जंक फूड खाने से या मसालेदार खाना खाने से बदहजमी हो जाती है। ऐसी स्थिति मे 10-15 मिली० पुदीने के काढ़ा मे नमक, मिर्च मिलाकर पीने से आराम मिल जाता है। साथ ही साथ पेट की गड़बड़ी को बिना साइड इफेक्ट के दूर किया जा सकता है। अस्थमा के रोगियों को पुदीना का सेवन लाभदायक सिद्ध होता है। पुदीना की तासीर गर्म होने के कारण यह फेफड़ों मे जमे बलगम को पिघलाकर उसे बाहर निकालने मे सहायक होता है। 500 ग्राम पुदीना के पत्तों को 500 ग्राम कालीमिर्च के साथ पीसकर, उसे छानकर चाय की तरह रोजाना पीने से पेशाब के वक्त दर्द या जलन की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
पुदीना के पत्तों को पीसकर घाव अथवा जले हुई भाग के ऊपर लेप लगाने से घाव जल्दी ठीक होता है। त्वचा संबंधित समस्याएं जैसे रैशेज, मुहासे, कील, दाग-धब्बे आदि होने पर रोजाना पुदीना का लेप लगाने से असरदार तरीके से ठीक होता है।
पुदीना के औषधीय गुणों के कारण बुखार, मासिक धर्म मे दर्द, ऐठन आदि रोगो से जल्दी आराम दिलाने मे पुदीना मददगार होता है। बिच्छू के काटने पर शरीर मे जो दर्द व जलन होता है उसे राहत दिलाने मे पुदीना मदद करता है। सुखी पुदीना के पत्तो का लेप लगाकर दर्द व जलन कम हो सकता है। पुदीना के पत्ते का चूर्ण बनाकर दांत को माजने से दांत दर्द की समस्याएं ठीक हो सकती है। शोध द्वारा सिद्ध हुआ है कि पुदीना की चाय का सेवन याददाश्त को बढ़ाने तथा तनाव को कम करने मे लाभदायक होता है। वैज्ञानिक अध्ययन मे पाया गया है कि पेपरमिंट ऑयल भूख को कम करता है जिससे अधिक खाने की आदत पर रोक लग सकती है, फलस्वरुप वजन को नियंत्रित करने मे मदद मिल सकती है।
इसके अलावा पुदीना का प्रयोग चटनी बनाने मे, सब्जियों मे स्वाद बढ़ाने मे, मसाले बनाने मे, टोनिक निर्माण मे, आयुर्वेदिक औषधियां बनाने मे, हर्बल पुदीना चाय बनाने मे तथा गर्मियों मे पुदीना पानी बनाने मे किया जाता है।
पुदीना के अनेक फायदे के साथ-साथ कुछ नुकसान भी है। निम्न रक्तचाप, लो शुगर, गर्भवती महिलाओं के लिए पुदीना का अधिक प्रयोग नुकसानदायक भी हो सकता है। इसलिए पुदीने का औषधी के रूप मे प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले।