पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश, गणित विभाग, श्री देवसुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय द्वारा नॉनलाइनियर एनालिसिस एंड एप्लिकेशन (ICNAA 2024) पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्राचीन भारतीय गणित विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन दिनांक 10-12 मई से प्रारम्भ हुआ।
सम्मेलन के प्रथम दिवस का आग़ाज़ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। सम्मेलन के प्रथम दिवस में मुख्य अतिथि श्री शैलेंद्र सिंह, निदेशक टीएचडीसी, विशिष्ठ अतिथि श्रीमती कृष्णा सिंह, निदेशक, पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश प्रोफ़ेसर महावीर सिंह रावत, इस कॉन्फ़्रेन्स की संयोजक प्रोफ़ेसर अनिता तोमर, सम्मानित अतिथि के रूप में, प्रो. यासुनोरी किमुरा, तोहू विश्वविद्यालय, जापान, पी. वीरामणि, आईआईटी चेन्नई, प्रो. राजेंद्र पंत, जोन्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका, प्रो. कन्हिया झा और नेपाल के उनके विद्वान, विभिन्न हिस्सों से आए सम्मानित प्रतिनिधि, प्रो. डी.सी. गोस्वामी, डीन कला संकाय, प्रो. कंचन लता सिन्हा, डीन वाणिज्य संकाय, प्रो. पी.के. सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. दीपा शर्मा और आयोजन सचिव गौरव वार्ष्णेय, सम्मेलन की सह आयोजन सचिव डॉ. शिवांगी उपाध्याय, विभिन्न विभागों के प्रमुख, प्रतिभागी, टीएचडीसी के अधिकारी, मीडियाकर्मी, शोध विद्वान। साथ ही प्रो. आर.एस. अग्रवाल और प्रोफेसर गोरखना आर्यल यूएसए से हमारे साथ जुड़ रहे हैं, और प्रोफेसर मोहम्मद साजिद सऊदी अरब से ऑनलाइन मोड के माध्यम से जुड़े।
यह सम्मेलन दिवंगत प्रोफेसर एस.एल. सिंह की विरासत का सम्मान करने और प्राचीन भारतीय गणित की गहन विरासत के साथ-साथ नॉनलाइनियर विश्लेषण के क्षेत्रों की खोज के लिए समर्पित है ।
यह सम्मेलन प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने के लिए गणितीय तकनीकों के व्यावहारिक अनुप्रयोग पर जोर देता है।
नॉनलाइनर विश्लेषण शुद्ध और अनुप्रयुक्त गणित को शामिल करते हुए, शोधकर्ताओं को प्राचीन भारतीय गणित की प्रासंगिकता पर अंतर-विषयक संवादों को बढ़ावा देने, अंतर्दृष्टि प्रदर्शित करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है ।
विशेष रूप से, 12 मई को गणित में महिलाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस का शामिल होना विविधता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रतिभागियों को वैश्विक गणितज्ञों के साथ जुड़ने और इन महत्वपूर्ण और गतिशील के क्षेत्र में नवीनतम विकास, नवीन विचारों और विधियों का मूल्यांकन करने का एक विशिष्ट अवसर प्रदान करना है।
प्रोफेसर एस. एल. सिंह (1942 – 2017) निश्चित बिंदु सिद्धांत के सबसे प्रसिद्ध शोधकर्ताओं में से एक थे। उन्होंने अपनी पीएच.डी. 1976 में कुमाऊँ विश्वविद्यालय, भारत से गणित में अर्जित की। अपने 47 साल लंबे करियर के दौरान, उन्होंने विभिन्न भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों में सेवा की।
1985 से 2004 में अपनी सेवानिवृत्ति तक उनका गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, भारत के साथ सबसे लंबा जुड़ाव रहा । गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में शामिल होने के बाद, प्रो. सिंह का रुझान पुरातत्व विज्ञान की ओर आया एवं भारतीय (वैदिक) गणित में उल्लेखनीय कार्य किया है।
आपने वैदिक गणित पर दो पुस्तकें “भास्कराचार्य की लीलावती”, भास्कराचार्य की लीलावती पुस्तक (मूल रूप से संस्कृत में) का अंग्रेजी अनुवाद एवं “द प्रोसोडी ऑफ पिंगला” लिखी ।
प्रोफेसर सिंह ने प्रोबेबिलिस्टिक एनालिसिस, टोपोलॉजी, ऑपरेटर थ्योरी, फ्रैक्टल ग्राफिक्स और गणित के इतिहास में 230 से अधिक शोध पत्रों का सह-लेखन किया है। उन्होंने 30 पीएच.डी. थीसिस का पर्यवेक्षण किया था। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय गणित के इतिहास पर शोध शुरू किया और 3 पीएच.डी. थीसिस का पर्यवेक्षण किया।