December 14, 2025

Naval Times News

निष्पक्ष कलम की निष्पक्ष आवाज

बुरांश फूल अपनी सुंदरता के साथ-साथ आय का स्रोत भी बन रहा है- डॉ अशोक कुमार अग्रवाल

बुरांश या रोडोडेंड्रॉन पर डॉ अशोक कुमार अग्रवाल का ज्ञानवर्धक लेख ,आप राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी में वनस्पति विज्ञान, विभाग प्रभारी एवं पर्यावरण विशेषज्ञ हैं।

बुरांश या रोडोडेंड्रॉन सुंदर फूलों वाला एक वृक्ष है। देवभूमि की सुंदरता में चार चांद लगाने वाला फूल बुरांश पर्वतीय आंचल में खिल गया है आजकल ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांश के सुर्ख लाल फूलों से पहाड़ियां लख-दक भरी हुई है, इससे पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों का नजारा बहुत खूबसूरत नजर आ रहा है ।

जंगलों में खिले बुरांश के फूल पर्यटको के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं । बुरांश झाड़ी अथवा वृक्ष की ऊंचाई वाला पौधा है जो लगभग 10 मीटर तक की ऊंचाई वाला होता है जो एरीकैसी कुल में रखा जाता है।

इसकी लगभग 300 जातियां उत्तरी गोलार्ध की ठंडी जगह पर पाई जाती हैं। वृक्ष की सुंदरता और सुंदर गुच्छेदार फूलों के कारण यह पर्वतीय क्षेत्र में काफी प्रचलित है।

भारत में बुरांश की जातियां पूर्वी हिमालय पर बहुतयात से मिलती हैं इसका वानस्पतिक नाम रोडोडेंड्रॉन आरबोरियम है, यहां अपने चमकदार सुर्ख लाल रंग के फूलों के लिए विख्यात है। बुरांश हिमालय क्षेत्र में लगभग 1500 से 3000 मीटर की मध्यम ऊंचाई पर पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष है ।

बुरांश के पेड़ों पर मार्च – अप्रैल माह में लाल सुर्ख के फूल खिलते हैं, बुरांश लाल, गुलाबी और सफेद तीन रंगों में पाया जाता है। हिमालय की तलहटी में जहां लाल और गुलाबी रंग के बुरांश अपनी सुंदरता बिखरते हैं, वही उच्च हिमालय क्षेत्र में सफेद रंग का बुरांश मिलता है।

कहा जाता है कि बसंत ऋतु में यह फूल सभी फूलों से पहले खिल जाता है। बता दे कि उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश नेपाल का राष्ट्रीय फूल है एवं हिमाचल और नागालैंड राज्य में इसे राज्य पुष्प का दर्जा प्राप्त है। भारत के हिमालय क्षेत्र मैं यहां जंगली रूप में पाया जाता है ।

बुरांश नमीयुक्त शीतोष्ण क्षेत्र में लगभग 11000 फीट की ऊंचाई तक उगाया जाता है। बुरांश के लिए अम्लीय मृदा का पीएच मान पांच या उससे काम होना चाहिए। बुरांश का वृक्ष रेतीली एवं पथरीली भूमि में नहीं होता है। बुरांश में भोजन लेने वाली जड़ मिट्टी की ऊपरी सतह पर होती हैं, अतः उन पर गर्मी और सुखे का दुष्प्रभाव जल्दी से दिखाई देता है।

प्राकृतिक रूप से इसका प्रसारण बीजों द्वारा होता है, जबकि साधारणता कलम इसके प्रजनन का अच्छा माध्यम है । बुरांश अपनी सुंदरता के साथ-साथ औषधि गुमो के लिए भी विख्यात है। बुरांश के फूलों का इस्तेमाल दवाइयां बनाने मे भी किया जाता है ।

बुरांश की पंखुड़ियौ से निकलने वाला गुणकारी रस हृदय व उदर रोग के लिए लाभकारी माना जाता है। बुरांश का जूस हृदय स्वास्थ्य, एंटीऑक्सीडेंट गुणों, सूजन से राहत, पाचन सुधार, त्वचा की चमक और ब्लड शुगर नियंत्रण जैसे अनेक लाभों के लिए जाना जाता है। बुरांश के फूलों की चटनी भी बनाई जाती है।

पेयजल स्रोतों को यथावत रखने में बुरांश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इसकी लकड़ी का उपयोग कृषि यंत्रों के हैंडल बनाने में किया जाता है।

इसके फूलों का उपयोग रंग बनाने में भी किया जाता है। इसकी पत्तियो का उपयोग भी कई बीमारियों में लाभकारी माना जाता है। उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में बुरांश का फूल स्थानीय समुदायों के लिए अतिरिक्त आय का महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।

राज्य में बुरांश के फूल का व्यवसायिक उपयोग बढ़ रहा है, जिससे ग्रामीण महिलाओं और स्थानीय समुदायों को रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण के अवसर मिल रहे हैं।

About The Author