ऋषिकेश, 13 दिसम्बर। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ इन्स्टिट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून में चल रहे गंगा संरक्षण से संबंधित प्रशिक्षण के दौरान आध्यात्मिक जागरण हेतु वे सभी परमार्थ निकेतन आये।

इस प्रतिनिधिमंडल में 17 वन सेवा अधिकारी और उनके परिवारजन कुल 30 सदस्य शामिल थे, जो भारत के विभिन्न राज्यों से आए थे।

भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में सहभाग किया। गंगा जी के तट पर आयोजित इस आयोजन ने अधिकारियों को गंगा जी की पवित्रता और पर्यावरणीय महत्व को समझने का अनूठा अवसर प्रदान किया।

इन अधिकारियों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से मुलाकात की और गंगा जी के संरक्षण में जन भागीदारी को लेकर उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किया। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के लिये गंगाजी के आध्यात्मिक महत्व पर स्वामी जी के साथ एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया।

स्वामी जी ने बताया कि गंगाजी केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का आधार है। यह हमारी संस्कृति, जीवनशैली, और धर्म से जुड़ी हुई है इसलिए, इसके संरक्षण के लिए सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता भी जरूरी है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गंगा के संरक्षण के महत्व पर बल देते हुये अधिकारियों से आह्वान किया कि गंगा जी को स्वच्छ रखने के लिए जन समुदाय को जागरूकता करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि वन्यजीवों का संरक्षण और नदियों का संरक्षण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इन दोनों के संरक्षण से ही हमारी पारिस्थितिकी संतुलित रह सकती है।

भारतीय वन सेवा अधिकारियों को वाइल्ड लाइफ इन्स्टिट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून में गंगा संरक्षण हेतु तकनीकी ज्ञान प्राप्त हुआ, साथ ही उन्हें परमार्थ निकेतन में आध्यात्मिक जागरूकता भी प्राप्त हुई, जिससे वे अपनी जिम्मेदारियों को और अधिक समर्पण और जोश के साथ निभा सकेंगे।

गंगा जी जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, न केवल भारत के पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लाखों लोगों के जीवन में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का स्रोत भी है। गंगा जी के संरक्षण के लिए कई कार्यक्रम और प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इन प्रयासों को सफल बनाने के लिए जनसमुदाओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि गंगा के किनारे बसे लाखों लोग अपनी रोजमर्रा की जीवनशैली और धार्मिक कृत्यों से गंगा से जुड़े हुए हैं। गंगा नदी की साफ-सफाई और उसके पानी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इन लोगों को जागरूक करना और उन्हें पर्यावरणीय दृष्टिकोण से जिम्मेदार बनाना आवश्यक है। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को यह संदेश दिया गया कि कैसे गंगा के किनारे रहने वाले लोग अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक कृतियों के साथ-साथ आधुनिक पर्यावरणीय उपायों को अपनाकर गंगा के संरक्षण में मदद कर सकते हैं।

गंगा के संरक्षण के लिए हमें सिर्फ पर्यावरणीय उपायों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि हमें गंगा के प्रति लोगों की भावना और जुड़ाव को भी समझना होगा। स्वामी जी ने सभी आईएफएस अधिकारियों उत्तराखंड की अमूल्य भेंट स्वरूप किट वितरित किये।

परमार्थ निकेतन गंगा जी की आरती में आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, केरल, तमिलनाडू, केरल आदि कई राज्यों के भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने सहभाग कर आत्मिक शान्ति का अनुभव किया।

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