देवेंद्र कुमार सक्सेना: भारतीय संस्कृति समस्त विश्व को अपना परिवार मानती हैं उसकी वजह है आपसी विश्वास स्नेह सहयोग समझ एवं भाव संवेदना जो लगभग सभी भारतीय परिवारों में हैं।

क्योंकि हम ऋषियों की संतान है जिन्होंने प्राणी मात्र की रक्षा के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दिया है। हमारी संस्कृति भोग की नहीं योग की संस्कृति है।

जब हम थोड़ा ज्यादा पारिवारिक लगाव महसूस करते हैं तो एक दूसरे की चिंता स्वभाविक है जब हम बीमार हो जाते हैं तो एक दूसरे को सहयोग करके चिंता का अनुभव करते हैं। विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।

एक दूसरे को उपलब्धियां मिलती हैं तो खुशी का अनुभव करते हैं।

अपने बच्चों को एक दूसरे की वजह से सुरक्षित अनुभव करते हैं।

हां!! कभी-कभी मानव स्वभाव के कारण यह लगता है कि हमारा स्नेह किसी की वजह से बंट तो नहीं रहा है

यह असुरक्षा की भावना भी कभी कभी गलत फहमियो में बदल जाती है उसे देखते हुए बुध्दिजीवी सर्तक हो कर अपने व्यवहार को संतुलित करके अपने मधुर सम्बन्धों को शान्ति और धैर्य के साथ बचाने का प्रयास करते हैं।

भारत सम्बन्ध बचाने वाले सिंद्धांतों में विश्वास करता है।

शांत स्वभाव सम्बन्ध बचाने के लिए है

और उग्र स्वभाव तोड़ने के लिए है। जीत सत्य निष्ठा शांति के प्रयासों से ही मिलती है।

फिर भी मानव स्वभाव के कारण त्रुटियां होना स्वाभाविक है जिसके लिए क्षमा वीरस्य भूषणः मंत्र है इतनी विशाल माता पृथ्वी बिना माफ़ी मांगे माफ करती हैं जबकि मनुष्य के वजह से वह आज संकट में घिरि हुई है पृथ्वी की उर्वरा शक्ति व पर्यावरण जन जीवन संकट में है।

और छोटा सा मानव हर बात में अपना अहंकार, हठधर्मिता, ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ, झूठ, प्रांत, क्षैत्र, भाषा, धर्म, जाति के कारण दुःखी होता है मानवता को दुखी कर रहा है।

धरा पर अंधेरा बहुत छा रहा है।

दिये से दिये को जलाना पडेगा।।

इस दीपावली पर हमें अपने मन का अपनी धरती का अंधकार मिटाना है।

हमारा भारत विश्व गुरु, विश्व बन्धु के रूप में में तेजी से उभर रहा है.. राजनीतिक षड्यंत्रों से बचते सहभागिता सहयोग करते राष्ट्र निर्माण विश्व निर्माण में योगदान करना है

कोई हमें गलत समझता है यह उनका व्यक्तिगत दृष्टिकोण हैं

जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि…

हम किसी का भला नहीं कर पा रहें हैं तो एक दूसरे को नुकसान भी नहीं पहुंचाएं….कम से कम राष्ट्र को नुकसान बिल्कुल नहीं पहुंचाएं

उठो सुनो प्राची से उगते सूरज की आवाज़।

अपना देश बनेगा सारी दुनिया का सरताज।।

हमें संकल्प पूर्वक अपने राष्ट्र व विश्व की की एकता अखंडता के लिये सकारात्मक सहयोग सहकार करना होगा…

करते जो सहकार सफलता उनकी चेरी है ।

हूए नहीं सफल वे जिन्होने शक्ति बिखेरी है।।

सभी को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभ कामनाएँ

द्वारा: देवेंद्र कुमार सक्सेना