• प्रशासन के इंतजाम नाकाफी, दलालों की मौज
  • यात्रियों के ठहरने, खाने पीने, पार्किंग में भारी किल्लत

हरिद्वार: श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी एवं श्री बालाजी धाम सिद्धबली हनुमान, नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के प्रबंधक स्वामी आलोक गिरी महाराज ने मई-जून में श्रद्धालुओं को चार धाम यात्रा से परहेज करने का निवेदन किया है।‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌

कहा कि श्रद्धालुओं के ठहरने, खाने पीने की किल्लत हो रही है। जाम की समस्या परेशानी का सबब बनी हुई है।‌ भारी भीड़ के चलते प्रशासन के इंतजाम नाकाफी है।‌‌ ऐसे में चार धाम की यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है। यात्रियों को जुलाई के बाद यात्रा शुरू करनी चाहिए।

गौरतलब है कि दो धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ ) की यात्रा कर सोमवार को वापस लौटे स्वामी आलोक गिरी महाराज ने अपने यात्रा अनुमव साझा करते हुए बताया कि मई -जून में चार धाम की यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है।

श्रद्धालुओं के उमड़े सैलाब से प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई है। ‌ यात्रियों को ठहरने, खाने-पीने, पार्किंग सहित अन्य कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌हेली सेवा के लिए भी लंबी कतार लगी हुई है। ब्लेक मार्केट का धंधा जोरों पर चल रहा है।‌‌

इसके बावजूद सभी यात्रियों को मई जून में ही यात्रा करनी है। मई जून में ही केदारनाथ बद्रीनाथ जाने की ज़िद्द किसी त्रासदी को बुलाएगी। आलोक गिरी ने कहा कि केदारग्राम एक बेहद छोटा सा गांव है जिसकी कुल क्षमता 10000 लोग एक बार मे झेलने की है। वहां अधिकतम एक रात में 10000 लोगों के रुकने की व्यवस्था है इतने ही लोगों के भोजन की व्यवस्था हो सकती है। लेकिन 6 मई को कपाट खुलने के पहले दिन ही सुबह गौरीकुंड तक 20000 लोग पहुंच गए ।

इस भीड़ को प्रशासन को नियंत्रित करने में पसीना आ गया और लोगो को गौरीकुंड में ही रोक दिया गया। 7 मई की रात को केदारग्राम की हालत ये थी कि एक भी होटल, गेस्टहाउस, धर्मशाला में एक भी कमरा नही था।

छोटे छोटे होटल्स के कमरे 12000 रुपये / रूम पर नाईट तक मे बिक गए। लोग खुले आसमान के नीचे 2℃ में अलाव के भरोसे सोए और खाने का कुछ तो पता ही नही।

कल को किसी के साथ कुछ उन्नीस बीस बात हो जाये तो यही भीड़ उत्तराखंड पुलिस, उत्तराखंड सरकार को कोसेगी कि ये देखो जी हम मर रहे थे इन्होंने कुछ ना किया। आलोक गिरी महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार की ओर से किसी भी श्रद्धालु को मई जून में ही आने के लिए स्पेशल निमंत्रण नही दिया गया है । लोग अपनी जिद्द अपनी मर्ज़ी से गए हो लेकिन कुछ बात हो जाएगी तो कोसोगे आप सरकार को। अब तो पूरी दुनिया को पता है कि पारिस्थितिक रूप से ये बहुत नाजुक इलाका है। 2013 के वो 48 घंटे कोई भुला नही होगा।

ये बात लोग क्यों नही समझ रहे। ये समझ नही आ रहा कि सबको कपाट खुलते ही 5 किलोमीटर की लाइन लगा के ही दर्शन क्यों करने है। आलोक गिर ने कहा दर्शन 6 महीने खुले है। ऐसे में 2 महीने बाद बाबा केदार वहां नही रहेंगे या सितम्बर में बाबा के दर्शन करेंगे तो पुण्य नही मिलेगा। अक्टूबर में आपको वहां हज़ार लोग भी नही मिलेंगे तब आपको दर्शन क्यों नही करने हैं।