राजकीय महाविद्यालय नैनबाग टिहरी गढ़वाल में उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ को धूमधाम से मनाया गया|

इस अवसर पर महाविद्यालय की करियर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट सेल द्वारा उत्तराखंड राज्य में रोजगार व स्वरोजगार के नये अवसर विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ ब्रीश कुमार ने मुख्य अतिथि विद्या मंदिर इंटर कॉलेज नैनबाग के प्रभारी प्रधानाचार्य श्री नंदन ठाकुर का बैच अलंकरण कर स्वागत किया।

साथ ही हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मंजू कोगियाल ने महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सुमिता श्रीवास्तव का बैच अलंकरण कर स्वागत किया ।

कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए करियर काउंसलिंग सेल के समन्वयक डॉक्टर दिनेश चंद्रा ने शहीदों और आंदोलनकारी को महाविद्यालय परिवार की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया।

उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम ऋग्वेद नामक ग्रंथ में उत्तराखंड शब्द की चर्चा की गई| जहां उत्तराखंड के लिए मनीषियों की भूमि शब्द का प्रयोग किया गया, स्कंद पुराण में उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के लिए केदार खंड और कुमायूं मंडल के लिए मानसखंड शब्दों का जिक्र किया तथा बौद्ध ग्रंथों में उत्तराखंड के लिए हिमवंत शब्द का प्रयोग किया गया।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक पृथक राज्य होगा यह बात सर्वप्रथम सन 1938 में श्रीनगर गढ़वाल में हुई कांग्रेस की विशेष अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार किया था।संवैधानिक तरीकों से उत्तराखंड की मांग समय-समय पर होती रही। परंतु 1994 की पश्चात यह आंदोलन हिंसक हो गया जिसमें कई लोग शहीद हुए।

परिणाम स्वरूप 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड एक पृथक राज्य बना। मुख्य अतिथि ने उत्तराखंड में स्वरोजगार के संबंध में विभिन्न प्रकार की जानकारियां छात्र-छात्राओं को दी और कहा कि राज्य सरकार द्वारा समय समय पर अनेक प्रशिक्षण दिए जाते हैं, जिसका लाभ उठाना चाहिए।

तत्पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्य ने छात्र-छात्राओं को उत्तराखंड सरकार की ओर से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के करियर विकास हेतु चलाये जा रहे अनेक योजनाओं से अवगत कराया।

प्रो श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन स्कॉलरशिप, प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु वित्तीय अनुदान, देवभूमि उद्यमिता योजना के अंतर्गत स्टार्ट-अप हेतु सीड फंडिंग, महिन्द्रा प्राइड क्लास रूम, शेनविन स्कालरशिप, प्रोजेक्ट गौरव इत्यादि के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी साझा की।

अंत में प्राचार्य ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया व डाॅ चन्द्रा ने सभी का आभार जताया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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