संस्कृत भाषा को आम जन की भाषा बनाने के लिए व्यापक रूप से प्रचारित प्रसारित किया जाएगा – स्वामी यतीश्वरानंद। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी उत्तराखंड सरकार एवं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के सयुक्त तत्वधान में संचालित 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय, आदर्श संस्कृत ग्राम भोगपुर डोईवाला से वर्चुअल माध्यम से किया गया।

जनपद हरिद्वार का आदर्श संस्कृत ग्राम नूरपुर पज्जनहेड़ी का कार्यक्रम वेलकम फॉर्म में आयोजित हुआ।जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद एवं विशिष्ट अतिथि हरिद्वार मेयर किरण जैसल सहित अन्य अतिथिगणों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के लिए आज गौरव का दिन है,जिन्होंने प्रदेश के सभी जनपदों में आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ किया है,उन्होंने कहा कि यह प्रदेश वासियों का सौभाग्य है कि प्रदेश देश में पहला राज्य बना है जहां सभी जनपदों में आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ किया गया है।

उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है तथा संस्कृत भाषा को आम जन का भाषा बनाने के लिए सरकार का यह प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि जनपद हरिद्वार का आदर्श संस्कृत ग्राम नूरपुर पज्जनहेड़ी संस्कृत ग्राम घोषित हुआ है तथा यह गांव एक मजबूत गांव है तथा यहां के जनप्रतिनिधि बहुत सक्रिय है जिनके द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचारित प्रसारित में अपना पूर्ण संयोग दिया जाएगा।

उन्होंने संस्कृत भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए सभी का सहयोग जरूरी है, उन्होंने गांव में ग्रामवासियों को संस्कृत भाषा को आम जन की भाषा हो इसके किया गांव में तीन चार सेंटर बनाए जाए तथा सभी ग्राम वासियों को सामान्य बोल चाल की भाषा को संस्कृत में सिखाया जाए।

उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को प्रचारित प्रसारित करने में उनके सहयोग की जो भी आवश्यकता होगी उनके द्वारा हर संभव प्रयास किए जाएगा।उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षकों,छात्रों एवं जनप्रतिनिधियों का भी आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि मेयर नगर निगम हरिद्वार किरण जैसल ने आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ करने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा को आम जन का भाषा बनाने की दिशा में सभी को मिलजुल कर कार्य करने की आवश्यकता है ।

इस अवसर पर डॉ करुणा गुप्ता ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और सभी भाषाओं को संस्कृत भाषा के सरंक्षण के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है जिससे हमारी भारतीय संस्कृति और भारतीय ज्ञान की परम्परा को बचाया जा सके।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ प्रकाश चंद्र जोशी द्वारा किया गया तथा इस अवसर पर छात्रों द्वारा अतिथियों के स्वागत के लिए स्वागत गीत की प्रस्तुति दी गई ।

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