आज दिनांक 14 सितंबर 2024 को राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ में हिंदी विभाग की ओर से राष्ट्रीय हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉक्टर विपिन शर्मा, युवा साहित्यकार एवं सहायक प्राध्यापक राजकीय महाविद्यालय चुड़ियाला हरिद्वार, ऑनलाइन रूप से सम्मिलित हुए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संरक्षक प्रोफेसर प्रभात द्विवेदी जी ने की। इस अवसर पर “पठन-पाठन की संस्कृति एवं हिंदी समाज” विषय पर व्याख्यान के माध्यम से हिंदी भाषा की समृद्ध विरासत के बारे में विद्यार्थियों और श्रोताओं को बताया गया।

दीप प्रज्ज्वलन एवं मां सरस्वती का वंदन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सर्वप्रथम मुख्य वक्ता डॉ विपिन शर्मा ने वैदिक युग से लेकर आधुनिक युग तक भाषा की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि समाज, विज्ञान सभ्यता तथा संस्कृति को समृद्ध बनाने में हिंदी का विशेष योगदान रहा है।

जयंत विष्णु नार्लीकर, लक्ष्मण सिंह, आदि विद्वानों के उदाहरणों से स्पष्ट किया कि बहुत से प्रबुद्ध व्यक्तियों तथा विद्वानों ने हिंदी के माध्यम से विज्ञान, तकनीकी तथा वैश्विक परिदृश्य में व्याप्त गूढ़ विषयों को भारतीय जनता के लिए ग्रहण करना सरल बनाया।

साथ ही उन्होंने कहा कि आज हम भौतिकतावादी दिखावट की ओर अग्रसर हो रहे हैं और ब्रांडेड कपड़े, मोबाइल, गाड़ी, बड़ा घर आदि के पीछे भाग रहे हैं किंतु किताबो, पुस्तकों पर हम हम कितना खर्च करते हैं? पुस्तकों को व्यर्थ मानकर हम उनका तिरस्कार कर रहे हैं और इसीलिए हम ज्ञान से और यथार्थ से दूर होते जा रहे हैं।

आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी हिंदी का प्रयोग बढ़ा है। तकनीक ने चीजों को आसान बनाया है किंतु फिर भी मानव मस्तिष्क का विकल्प नहीं बन सकती है। उन्होंने कहा कि रुचिर शर्मा ने कहा है कि यदि भाषा व कलाओं के व्यक्तियों को अनदेखा किया जाएगा तो समाज में हिंसा, अकेलापन तथा सामाजिक विकृतियों बढ़ेगी। उन्होंने राहुल सांकृत्यायन, महावीर प्रसाद द्विवेदी, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि विद्वानों के हिंदी में योगदान पर भी चर्चा की।

राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक श्री विनीत कुमार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी की भूमिका तथा महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यदि भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखना है तो भारतवर्ष में हिंदी को प्रोत्साहन करना ही पड़ेगा। महाविद्यालय के छात्र प्रतिभागियों में रवीना, स्मृति, आयुषी निर्मल ने भाषण दिया तथा सुभाषिनी एवं विकास कुमार ने कविताओं के माध्यम से हिंदी की श्रेष्ठता पर अपने विचार रखे।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर प्रभात द्विवेदी जी ने अपने संबोधन में कहा कि पृथ्वी पर भाषा की वजह से ही जीवन पनपा परंतु आज भाषा में गिरावट की वजह से ही नष्ट भी हो रहा है।

उन्होंने बताया कि भारत में 1991 की जनगणना के अनुसार 39% हिंदी भाषी लोग थे, जो बढ़कर 2001 में 41% तथा 2011 में 43% हो गए, अर्थात भारत में हिंदी का विस्तार लगातार जारी है जो कि एक सुखद अनुभूति है। उन्होंने हिंदी भाषा की श्रेष्ठता पर बल देते हुए उदाहरणस्वरूप बताया कि “रिक्शा” एक जापानी शब्द है किंतु हमारी हिंदी ने इसे समाहित कर लिया है। इसी प्रकार फ़िल्में, सीरियल, यूट्यूब पर भी 54% सामग्री हिंदी में उपलब्ध है।

हालांकि चिकित्सा, न्याय व्यवस्था तथा अभी भी बहुत से राजकाज में अंग्रेजी भाषा का बहुतायत में प्रयोग हो रहा है जो कि शोचनीय स्थिति है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वह हिंदी बोलने में संकोच नहीं अपितु गर्व महसूस करें।

कार्यक्रम का संयोजन तथा मंच संचालन श्री यशवंत सिंह ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के डॉक्टर प्रमोद कुमार, आलोक बिजलवाण, खुशपाल, आराधना सिंह, डॉक्टर सुगंधा वर्मा, डॉक्टर रजनी, बृजेश चौहान, डॉ भूपेश चंद्र पंत, डॉक्टर निशी दुबे, डॉक्टर प्रभात कुमार, अराधना राठौर, वैभव कुमार, राम चन्द्र नौटियाल सहित बड़ी मात्रा में प्राध्यापक, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।