उत्तराखंड राज्य आज अपना 25वां स्थापना दिवस मना रहा है। आज दिनांक 09 नवंबर 2024 को इस अवसर पर राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ में महाविद्यालय के संरक्षक एवं प्राचार्य प्रो. प्रभात द्विवेदी जी ने ध्वजारोहण किया एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान प्राचार्य प्रो. प्रभात द्विवेदी जी ने कहा कि आज हमारा उत्तराखंड राज्य रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर गया है, किंतु अल्मोड़ा के मार्चूला में हुई सड़क दुर्घटना राज्य के लोगों के लिए एक बड़ा शोक का विषय है।

राज्य सरकार ने भी राज्य स्थापना दिवस के सभी कार्यक्रम सादगी से मनाने का फैसला किया है। अतः आज उत्तराखंड की रजत जयंती का ऐतिहासिक दिवस होते हुए भी महाविद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड राज्य निरंतर विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है और यह हम सबका उत्तरदायित्व है कि हमारे राज्य को और अधिक समृद्ध, विकसित, खुशहाल और सुरक्षित बनाने के लिए हम पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें। बहुत सी चुनौतियां अभी भी हमारे सामने हैं परंतु हम सबको मिलजुल कर उनके समाधान करने होंगे।

प्राचार्य प्रो. प्रभात द्विवेदी जी ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे सभी उत्तराखंड राज्य के जिम्मेदार एवं कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनने हेतु कृत संकल्पित हो।

महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ० किशोर सिंह चौहान ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की और विद्यार्थियों से कहा कि वे स्वच्छता, पर्यावरण, जल एवं ऊर्जा संरक्षण जैसे विषयों के प्रति संवेदनशील बने एवं राज्य की उन्नति में अपना योगदान सुनिश्चित करें।

इस दौरान अल्मोड़ा बस दुर्घटना के मृतकों एवं घायलों के प्रति संपूर्ण महाविद्यालय परिवार ने शोक संतृप्त होकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर डॉ० रजनी लस्याल, श्री बृजेश चौहान, श्रीमती कृष्णा डबराल, श्री खुशपाल, डॉ आराधना सिंह, श्री विनीत कुमार, डॉ० भूपेश चंद्र पंत, डॉ0 सुगंधा वर्मा, डॉ0 निशी दुबे, श्री यशवंत सिंह, श्रीमती नेहा बिष्ट, डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल, श्री आलोक बिजलवाण, श्री रामचंद्र नौटियाल, श्री स्वर्ण सिंह, श्रीमती संगीता थपलियाल, श्री कौशल सिंह बिष्ट, श्री मदन सिंह, श्री रोशन जुयाल, श्री जितेंद्र पवार, श्रीमती हिमानी रमोला, श्री सुनील गैरोला, श्री अमीर सिंह, श्री संजय आदि, एवं महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।