राजकीय महाविद्यालय नैनबाग में दिनांक 27 मई 2023 को ऑनलाइन फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन किया गया।
एफडीपी का शुभारंभ करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सुमिता श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा उन्होंने बताया कि यह एफडीपी उच्च शिक्षा से जुड़े सभी लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
एफडीपी में दो विषयों को शामिल किया गया। पहला विषय शोध पत्रों का लेखन एवं प्रकाशन कैसे कराएं था जिसके लिए रिसोर्स पर्सन के रूप में आईआईटी रुड़की से मैनेजमेंट विभाग से डॉo विष्णु नाथ को आमंत्रित किया गया था। डॉo विष्णु नाथ ने शोध पत्र लेखन से संबंधित विभिन्न जानकारियां दीं।
उन्होंने शोध पत्र लिखते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे कि शोध पत्र प्रकाशित होने की संभावना बढ़ जाए इसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि बहुत सारे शोधपत्र अच्छे होते हुए भी प्रकाशकों द्वारा वापस कर दिए जाते हैं। यदि हम कुछ बातों का ध्यान रखें तो हमारे शोध पत्र आसानी से प्रकाशित हो सकते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रकाशक ग्रुप कार्य कर रहे हैं।
महाविद्यालय के इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉo दिनेश चंद्र द्वारा डॉo विष्णु नाथ को धन्यवाद प्रेषित किया गया। दूसरा विषय शोध प्रविधि था जिसके लिए रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह को आमंत्रित किया गया था डॉक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह ने शोध प्रविधि से संबंधित तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से प्रतिभागियों को बताया। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बीoएo सेमेस्टर पंचम एवं षष्ठम में रिसर्च प्रोजेक्ट अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके लिए शोध प्रविधि की जानकारी छात्र छात्राओं के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा। दूसरी ओर पीएचडी करने वाले एवं कराने वाले प्राध्यापकों अथवा शोधार्थियों के लिए शोध प्रविधि के संबंध में यह फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम बहुत ही सार्थक सिद्ध होगा।
महाविद्यालय के आइक्यूएसी के समन्वयक श्री परमानंद चौहान ने बताया कि इस एफडीपी प्रोग्राम से उच्च शिक्षा से जुड़े अनेक लोगों को लाभ होगा विशेषकर जो छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं तथा आगे बढ़ना चाहते हैं उन्हें इस प्रोग्राम से काफी मदद मिलेगा।
प्रोग्राम के अंत में उन्होंने सभी प्रतिभागियों एवं रिसोर्स पर्सन को धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रोग्राम में उत्तराखंड सहित देश के अनेक राज्यों से शोध छात्रों एवं प्राध्यापकों ने प्रतिभाग किया।