राजकीय महाविद्यालय पाबौ में दिनांक 25 अप्रैल 2025 को “समान नागरिक संहिता” विषय पर परिचर्चा एवं संवाद का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं सभी प्राध्यापकों ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम का लक्ष्य छात्र-छात्राओं को समान नागरिक संहिता की महत्वता एवं इससे जुड़े नियमों की जानकारी देना था। कार्यक्रम में सांस्कृतिक समिति की नोडल डॉ.तनुजा रावत ने छात्र-छात्राओं को बताया की किस प्रकार समान नागरिक संहिता राज्य के सभी नागरिकों को समान मानते हुए बिना भेदभाव के सभी के लिए समानता के नियमों पर आधारित है।

आइ.क्यू.ए.सी नोडल अधिकारी डॉ.सौरभ सिंह ने उत्तराखंड में इसके लागू होने तथा इसके क्रियान्वयन की बात करते हुए बताया की समान नागरिक संहिता के अधीन सभी नागरिक चाहे वे किसी भी समुदाय या धर्म से हों, सभी पर समान रूप से कानून लागू करता है| कार्यक्रम में बी.ए.षष्टम सेमेस्टर की छात्रा साक्षी ने बताया की समान नागरिक संहिता कानून के सरलीकरण एवं बंधुत्व को बढ़ावा देता है।

इसी क्रम में बी.ए.षष्टम सेमेस्टर की छात्रा सुभाषिनी ने बताया की यह विभिन्न संस्कृतियों के बीच रहने वाले लोगों को एकता प्रदान करता है, इस प्रकार यह राज्य के नागरिकों को एकता के सूत्र में पिरोता होता है।

बी.कॉम.के छात्र कृष्णकांत ने भी समान नागरिक संहिता के उत्तराखंड राज्य में लागू होने पर इसे एक अच्छा कदम बताया जो राज्य के सभी नागरिकों को समानता प्रदान करता है।

बी.कॉम.की छात्रा ममता ने भी इस पर अपनी बात रखते हुए समान नागरिक संहिता को सांप्रदायिक एकता में लाभदायक बताया| कार्यक्रम का संचालन राजकीय महाविद्यालय पाबौ के प्राचार्य प्रोफेसर सत्य प्रकाश शर्मा की अध्यक्षता में किया गया ।

उन्होंने समान नागरिक संहिता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए छात्र छात्रों को बताया कि किस प्रकार समान नागरिक संहिता भारत जैसे देश के बहुसंस्कृतिवाद को स्वीकार्यता प्रदान करती है और कानूनी ढांचे को सुगम्यता प्रदान करती हुए विभिन्न पंथ के नागरिकों के बीच भेदभाव को कम करके राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देती है।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ.रजनी बाला, डॉ.गणेश चंद्, डॉ.मुकेश शाह, डॉ.सुनीता चौहान, डॉ.सरिता, डॉ.धर्मेंद्र, डॉ.धर्मेंद्र एवं सभी कर्मचारीगण भी मौजूद रहे|

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