राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी शहर गोलापार गढ़ भोज कार्यक्रम के तहत प्राचार्य प्रो संजय कुमार के निर्देशन में महाविद्यालय में गढ़ भोज दिवस मनाया गया ।
पारंपरिक भोज पदार्थों के प्रति युवा पीड़ी में जागरूकता लाने के उद्देश्य से छात्रा छात्रो के मध्य निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसका विषय था – उत्तराखंड के परम्परागत भोज पदार्थ और उनका महत्व ।
इस संदर्भ में महाविद्यालय प्राध्यापकों तथा छात्र छात्राओं के मध्य एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे वर्तमान संदर्भ में परंपरागत भोज पदार्थों एव पकवानों का हमारी थाली से धीरे धीरे दूर जाना इस विषय पर चर्चा की गई ।
गोष्ठी के प्रमुख वक्ता डॉ डी.सी. पांडे द्वारा अपने उद्बोधन में गढ़वाल कुमाऊं और तराई के भोजन का परिचय भौगोलिक पहचान के आधार पर दिया गया और नई पीड़ी को संदेश दिया गया कि फ़ास्ट फ़ूड के दौर में स्वास्थ के प्रति सचेत रहते हुए परंपरागत भोजन को ख़ान पान में शामिल करे ।
प्राचार्य महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृति के निर्माण में भोज पदार्थों का महत्व पूर्ण स्थान है प्रत्येक स्थान का भोजन उस स्थल की भौगोलिक आवश्यकता होती जो समयानुसार वहाँ की पहचान बन जाती है उत्तराखंड के पारंपरिक भोज पदार्थ जैसे अरसे, चुटकानी, कंडाली का साग आदि भोजन स्थानीय उपलब्धता के आधार पर बनाए जाते है ।
कार्यक्रम का संचालन डॉ अर्चना जोशी द्वारा किया गया।कार्यक्रम में समस्त प्राध्यापक गण और महाविद्यालय कार्मिक उपस्थित रहे ।
गढ़ भोज उत्सव में स्वयंसेवक अमन ,मनीष ,राहुल, सुशील, ललिता, निकिता , गीता ,जानकी ,कृतिका , उदिति आदि छात्र छात्रा उपस्थित रहे ।