आज, आषाढ़ कृष्णपक्ष, द्वादशी सम्वत 2079 वि.,      25- 06-2022 ई० पर रामेश्वर शर्मा “रामू भैया” द्वारा रचित कविता आषाढ़ कृष्ण तिथि द्वादशी, शनिवार है भाई

रामेश्वर शर्मा आप वरिष्ठ साहित्यकार, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सदस्य, भारतेंदु समिति के सदस्य, मौजीबाबा लोक कल्याण ट्रस्ट में ट्रस्टी हैं

आषाढ़ कृष्ण तिथि द्वादशी, शनिवार है भाई

घूम रहे संग लखन जानकी, वनवासी रघुराई

वनवासी रघुराई , देखो , मायापति की माया

इस माया को रामूभैया , कौई समझ ना पाया

 

जगभटकावनी मायास्वामी,भटक रहे जो आज

पोशीदा इत मायावी का, इसमें भी है गहरा राज

इसमें भी है गहरा राज , राज न खुल कहीं जावे

इस चक्कर में वनवासी बन ,लीला यहाँ दिखावे

 

रामूभैया ! जो भी हो पर , है अपना तो आनन्द

छलका गए आनन्द यही ले,तुलसी मानस छन्द।