राजकीय महाविद्यालय जखोली (रूद्रप्रयाग) उत्तराखंड के राजनीति विज्ञान विभाग में नियमित व्याख्यान श्रंखला के अंतर्गत कल सोमवार को विशेष व्याख्यान “प्रथम विश्व युद्ध और शांति के प्रयास” विषय पर आयोजित किया गया|

मुख्य वक्ता के रूप में राजकीय महाविद्यालय जखोली के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ॰ देवेश चन्द्र ने अपने व्याख्यान में प्रथम विश्व युद्ध के कारणों और उसके पश्चात शांति की स्थापना में राष्ट्र संघ की भूमिका का एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया|

उन्होने कहा कि जर्मनी और इटली के एकीकरण के चलते यूरोप में शक्ति का संतुलन बिगड़ गया, जिसके चलते यूरोप की सम्पूर्ण राजनीति में एक संरचनात्मक परिवर्तन होने लगता है| उन्होने अपने व्याख्यान में प्रथम विश्व युद्ध के लिए इंग्लैंड को उत्तरदायी मानते हुए उसका विश्लेषण प्रस्तुत किया| उन्होने कहा कि अगर इंग्लैंड उस सामी पृथककरण की नीति न अपनाता तो प्रथम विश्व युद्ध को टाला जा सकता था| उन्होने गुप्त संधियों को प्रथम विश्व युद्ध का प्रमुख कारण मानते हुए उसका विश्लेषण प्रस्तुत किया| अपने व्याख्या में उन्होने शांति के प्रयासों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन की महती भूमिका का विषद वर्णन करते हुए राष्ट्र संघ की स्थापना में उनके योगदान का जिक्र किया|

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ (कु) माधुरी ने  राजनीति विज्ञान विभाग में नियमित व्याख्यानमाला के अंतर्गत विशेष व्याख्यान आयोजित करने के लिए राजनीति विज्ञान विभाग को शुभकामनायें दी |

कार्यक्रम मे डॉ नन्द लाल, डॉ सुभाष कुमार, डॉ दलीप सिंह, श्री सुमित बिजलवान, सोनम कुमारी  और छात्र छात्राएँ मौजूद रहे|

कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग की डॉ॰ कविता अहलावत ने किया| कार्यक्रम के समन्वयक राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विकास शुक्ला ने  धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ॰ देश चन्द्र का आभार प्रकट किया |