15/08/22 को राजकीय महविद्यालय मरगूबपुर  हरिद्वार में स्वतन्त्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर  स्वतन्त्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया।

इस अवसर पर देश भर में  आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत देश के आम जनमानस में राष्ट्र के प्रति समपर्ण देशभक्ति एवं आस्था का भाव पैदा करने के लिए आजादी के राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त 2022 को सभी घरों पर 20×30 इंच  का राष्ट्रीय ध्वज लगाने के लिए “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम की सफलता के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं की भूमिका सुदृढ करने हेतु प्रभात फेरी का आयोजन किया गया, प्रभात फेरी का शुभारम्भ ध्वजारोहण राष्ट्रगान एवं शहीदों को नमन करके महाविद्यालय प्राचार्य प्रो.सत्यपाल सिंह द्वारा किया गया।

प्रभात फेरी का संचालन डॉ गिरिराज (विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान) हर घर तिरंगा कार्यक्रम संयोजक  ने किया व डॉ गिरिराज सिंह ने समस्त प्राध्यापकों कर्मचारीगणों, छात्र/ छात्राओं को प्रभात फेरी कार्यक्रम की  रुपरेखा से अवगत कराया। प्रभात फेरी महाविद्यालय से प्रारम्भ होकर गाँव मुगूबपुर, मुस्तफाबाद,रतनपुर होते हुए वापस महाविद्यालय में सम्पन हुई।

प्रभात फेरी में  समस्त प्राध्यापकों कर्मचारीगणों, छात्र/ छात्राओं ने “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा” “जब-जब झोंका हवा का आता है, मेरा तिरंगा लहराता है” “घर-घर हम तिरंगा लहरायंगे, आजादी का अमृत महोत्सव मनाएँगे” “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोंतां हमारा” “तिरंगा हमारी शान है भारत की पहचान है”नारे बोलते हुए बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया | अंत में महविद्यालय में विचार गौष्ठी का आयोजन किया गया।

जिसमे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शैफाली शुक्ला ने आजादी का महत्व बताते हुए देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया। डॉ अनिल कुमार असि.प्रोसेसर ( हिंदी) स्वतन्त्रता संघर्ष पर प्रकाश डाला, डॉ मुकेश कुमार गुप्ता असि.प्रोसेसर ( अंग्रेजी)  स्वतन्त्रता के बारे चर्चा करते हुए जालौर राजस्थान में  दलित छात्र की हत्या पर खेद व्यक्त किया। श्रीमती मंजू ने पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रचित कविता सुनाई। डॉ अनिल कुमार असि.प्रोसेसर ( इतिहास) ने प्रेरणादायक कहानी सुनाई।

डॉ गिरिराज सिंह ने विचार गोष्ठी का संचालन करते हुए  भारत के 75 वर्ष की यात्रा का वर्णन किया व समाज व्याप्त रुढिवादिताओं से आजाद होने की बात की तथा नशा मुक्ति पर चर्चा की। प्राचार्य प्रोफेसर सत्यपाल सिंह ने आशीष वचनों के साथ विचार गोष्टी का समापन किया।