लखनऊ,आकाश सिंघल की रिपोर्ट: लखनऊ को किसी समय लक्ष्मणपुर कहा जाता था। लखनऊ के अलीगंज में है एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर, जो बेहद ही चमत्कारिक मंदिर है। आसपास या दूरदराज में जहां भी हनुमान मंदिर बनाया जाता है उसके लिए यहीं से सिंदूर और लंगोट ले जाकर प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है।
मान्यता के अनुसार, अंग्रेज काल में लखनऊ के नवाब मुहम्मद अली शाह रहते थे। उनकी बेगम राबिया को कोई औलाद नहीं हो रही थी। सब दवा-दुआ बेकार जा रहा थी। किसी के बताने के बाद बेगम ने यहीं पर दुआ की और उनकी दुआ कबूल हुई। बेगम ने मुराद पुरी होने के बाद स्वप्न अनुसार यहां बाबा का मंदिर बनवाया।जिसके बाद मंगलवार को वाजिद अली शाह का जन्म हुआ और उनका निक नेम मंगलू भी था. फिर उनकी मां ने भंडारे का आयोजन किया था. नवाबी दौर में शाही खजाने से भंडारों का आयोजन होता था. तभी से लखनऊ में बड़े मंगल पर भंडारों का आयोजन होता आ रहा है।
और अब तो ये हालत है कि किसी एक चौराहे पर कम से कम 4या 5 भंडारों का आयोजन देखा जा सकता है.
आप बड़ा मंगल पर लखनऊ में महसूस कर सकते हैं कि यहां दानी और याचक में कोई भेद नहीं है। कणकण में ईश्वर है, देने वाला भी वही है और लेने वाला भी।* सबसे बड़ा मानव धर्म है कि कोई भूखा न सोए, कोई प्यासा न रहे, लखनऊ बस इसी धर्म को निभाता आ रहा है,धीरेधीरे भंडारे में पूड़ी और आलू की सब्जी भी बांटी जाने लगी। सब्जी का स्वाद ऐसा कि दूसरे दोने के लिए हाथ अपने आप बढ़े।”
बदलते समय के साथ भंडारों का ट्रेंड भी बदला है। पहले जहां भंडारे के प्रसाद के तौर पर गुड़धनिया, चना, बताशे, बेसन के लड्डू, बूंदी और शर्बत ही बंटता “कुछ जगहों पर मूंग का हलवा, फ्रूट चाट, जूस, रूहअफजा, कचौड़ी और समोसा भी मिलता। आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक और चाऊमीन आदि भी भंडारे का प्रसाद हो गए हैं। सैंडविच, खस्ता, चुस्की, जूस और छोलाभटूरा के लिए तो कतार लगी रहीं।
हनुमान जी हमारे प्रत्यक्ष देवताओं में हैं। नौ चिरंजीवी हैं हनुमान जी स्वयं सबसे बड़े भक्त हैं और अपने भक्तों को भी भगवान मान उनकी हर मनौती पूरी करते हैं। इसीलिए बड़ा मंगल लखनऊ से शुरू होकर पूरे प्रदेश में फैल गया।”जिस तरह छठ पूजा पूर्वांचल से शुरू होकर धीरेधीरे हर जगह फैल गई। उसी तरह ज्येष्ठ का बड़ा मंगल भी अब लखनऊ से बाहर निकल चुका है। बड़ा मंगल मूलत: अलीगंज के पुराने मंदिर की देन है। राजधानी में बड़ा मंगल बहुत ही खास अंदाज में मनाया जाता है। भोर से लेकर देर रात तक मंदिरों में भीड़ उमड़ती है। मंदिरों के बाहर मेले सा नजारा रहता है।”
*ज्येष्ठ माह में पडने वाले मंगल को राजधानी लखनऊ में मनाया जाने वाला बड़ा मंगल सिर्फ हिन्दू धर्म की आस्था का प्रतीक ही नहीं है बल्कि विभिन्न धर्मों के लोगों की भी इसमें आस्था है।
इस आयोजन में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि सभी धर्मो के लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। चार सौ साल पुरानी इस परंपरा ने इतना वृहद रूप ले लिया है । *इसी परम्परा का निर्वाह करते हुए ऑल इंडिया न्यूज पेपर एसोसिएशन (आईना) द्वारा भंडारे एवं निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया*।इस भंडारे में माननीय मंत्री गण, विधायक, अधिकारी, विशिष्ट नागरिक एवं सामाचार पत्रों के संपादक एवम पत्रकार बंधु सम्मिलित हुए।
“उत्तर प्रदेश में ज्ञानवापी मस्जिद की सरगर्मियों के बीच राजधानी लखनऊ में बड़ा मंगल की धूम रही। ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को यहां बड़ा मंगल के रूप में मनाया जाता है। इसे देखते हुए शहर के सभी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दर्शन करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें बड़ा मंगल का इंतजार रहता है। यह हनुमान जी का सबसे बड़ा दिन है।”
लखनऊ युवा व्यापार मंडल अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने बताया कि पांचों बड़े मंगल पर छप्पन भोग की थाल प्रमुख बाजारों में सदस्यों द्वारा लगाई जा रही है।अलीगंज स्थित साहू एजेंसी के सामने डा. संदीप अग्रवाल द्वारा सब्जीपूड़ी का वितरण किया गया।
सीतापुर रोड फ्लाईओवर एल्डिको के सामने श्री दुर्गा जागरण समिति के अध्यक्ष रचित नाग ने बताया कि आम का पना, गोलगप्पे, चाऊमीन, फ्राई राइस का वितरण किया गया।लेटे हनुमान मंदिर के निकट पक्का पुल पर भंडारा, सुबह 10 बजे से पूड़ी सब्जी, बूंदी, शरबत और शाम को 56 भोग का प्रसाद वितरण राजाजीपुरम में पुराने हनुमान जी ओमकारेश्वर मंदिर के निकट भंडारा,
इंद्रा नगर में हर 50कदम की दूरी पर भंडारे के आयोजन किए गए।
रजनी खण्ड में शिवी इंफ्रा परिवार द्वारा भजन कीर्तन , भंडारे का विशाल आयोजन किया गया। विशाल तिवारी , प्रत्यक्ष सिंह , अनुज त्रिपाठी और विनय ने अगंतुकों को जल भी पिलाया,*हजरतगंज में मुख्य अतिथि की भूमिका में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या जी एवम आलमबाग में ब्रजेश त्रिपाठी जी रहे , आप ने भी सेवा करने का आनंद उठाया*।ऐसा नजारा पूरे लखनऊ में जगह जगह देखने को मिला।
*ॐ श्री हनुमंते नमः।*
*हमारे सभी पाठको की भी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो।*