एनटीन्यूज़: लेमनग्रास एक औषधीय पौधा जिसके औषधीय गुणों और उपयोग पर डा० भरत गिरी गोसाईं का बहुत ज्ञानवर्धक लेख
लेमनग्रास एक बहुवर्षीय खुशबूदार औषधीय पौधा है जो मुख्यतः दक्षिण पूर्वी एशिया मे पाया जाता है। लेमनग्रास का वैज्ञानिक नाम सिम्बेपोगोन फ्लक्सुओसस है जिसे साधारण नींबू घास, मालाबार घास, कोचीन घास आदि नामो से जाना जाता है। लेमनग्रास का पौधा पोयसी कुल से संबंधित पौधा है जिसकी लंबाई 1 से 3 मीटर तथा पत्तियो की लंबाई 150 सेंटीमीटर और चौड़ाई 1.7 सेंटीमीटर तक होती है।
लेमनग्रास के पोषक तत्व: लेमनग्रास मे बहुत से पोषक तत्व पाए जाते है, जिनमे प्रोटीन, ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैग्नीज, सेलेनियम आदि तत्व प्रमुख है।
लेमनग्रास की उन्नतशील किस्में: लेमनग्रास के उन्नतशील किस्मो मे प्रगति, कृष्णा, चिरहरित, टी-1, नीमा, कावेरी तथा जी०आर०एल०-1 आदि प्रमुख है।
लेमनग्रास की खेती: किसानो द्वारा लेमनग्रास की खेती प्रवर्धन तथा स्लिप्स (पुराने पौधो से निकाले गए अलग-अलग कलम) के माध्यम से ढलान वाली भूमि मे की जाती है। इसकी उचित पैदावार के लिए उष्ण तथा समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 50 से 55 हजार स्लीप्स 5 सेंटीमीटर की गहराई पर, 60 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी एवं 45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर फरवरी-मार्च माह मे किसानो द्वारा रोपित किया जाता है। प्रति हेक्टेयर भूमि मे 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश का घोल प्रतिवर्ष डालने से लेमनग्रास अधिक मात्रा मे उत्पादित किया जा सकता है।
लेमनग्रास फसल की पहली कटाई 110 से 130 दिन बाद की जाती है। उसके बाद लगभग 90 दिन बाद दूसरी कटाई की जाती है। प्रथम वर्ष मे लगभग तीन कटाई की जा सकती है, उसके बाद प्रत्येक वर्ष मे चार कटाई आसानी से की जा सकती है। भारत मे प्रतिवर्ष लगभग एक हजार मैट्रिक टन लेमनग्रास का उत्पादन किया जाता है।
भारत प्रतिवर्ष ₹5 करोड का शुध्द लाभ लेमनग्रास तेल विदेशों मे निर्यात करके अर्जित करता है। भारत का लेमनग्रास तेल उच्च गुणवत्ता के चलते दुनिया मे हमेशा मांग मे रहता है।
वैज्ञानिक शोध के अनुसार लेमनग्रास से 220 से 250 किलोग्राम तेल प्रतिवर्ष/प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है, जिससे किसानो को एक से चार लाख रुपये/प्रति हेक्टेयर का शुद्ध लाभ हो सकता है।
लेमनग्रास के औषधीय फायदे: लेमनग्रास मे पर्याप्त मात्रा मे एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है जो कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। शरीर मे बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने मे भी लेमनग्रास उपयोगी है। लेमनग्रास तेल मे एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है जिसके नियमित इस्तेमाल से जोड़ों के दर्द एवं सूजन की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही साथ इसमे एंटी डायबिटिक गुण पाया जाता है जिसका नियमित सेवन से मधुमेह जैसी समस्या से राहत मिल सकती है।
लेमनग्रास मे एंटीडिप्रेसेंट गुण पाए जाते है जो कि अवसाद (डिप्रेशन) को कम करने मे मददगार होती है। इसके अलावा लेमनग्रास मैग्नीशियम का एक प्रमुख स्रोत भी है। लेमनग्रास मे एंटीफंगल तथा एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते है जो कि मुंहासे एवं संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया, वायरस तथा फ॑जाई को नष्ट करते है। आयरन से भरपूर होने के कारण लेमनग्रास का उपयोग एनीमिया के रोगियो के लिए फायदेमंद होता है। लेमनग्रास का उपयोग चाय, सूप, काढ़ा, सलाद एवं सब्जी के रूप मे किया जाता है।
महत्वपूर्ण औषधि गुणो से युक्त लेमनग्रास की व्यवसायिक खेती किसानो की आमदनी को बढ़ाने का एक प्रमुख फसल है। स्वरोजगार की दिशा मे लेमनग्रास की खेती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।