डॉ संदीप भारद्वाज एनटीन्यूज़:  आज दिनांकपर 29 नवंबर 2021 को उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय कार्यशाला पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग व स्पेक्स, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में “साइंटिफिक राइटिंग” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया

इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्रीदेव सुमन उत्तराखं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीपी ध्यानी थे। कार्ल के वक्ता/रिसोर्स पर्सन प्रोफेसर जी.एस. रजवार, भूतपूर्व प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि, डॉ अनूप कुमार, प्रोफेसर कम्युनिकेशन विभाग, क्ल स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका, डॉक्टर सुनील कैंथोला, डायरेक्टर, नंदा देवी इस्टीट्यूट, देहरादून, व डॉक्टर पारुल सिंगल, रिसर्च- एसोसिएट स्पेक्स, देहरादून थे।

आयोजन सचिव प्रोफेसर गुलशन कुमार ढींगरा तथा डॉक्टर बृज मोहन शर्मा द्वारा सभी को पौधा भेंट कर स्वागत किया गया।

इसके बाद आयोजन सचिव प्रो० गुलशन कुमार धींगरा द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत उद्धबोधन किया गया तथा डॉक्टर बृज मोहन शर्मा,आयोजन सचिव द्वारा कार्यक्रम का उद्देश्य एवं रूपरेखा पर प्रकाश डाला गया व उन्होंने कहा कि हमें अपने आसपास के वातावरण से विज्ञान को सीखना चाहिए इसी पर इन्होंने तुलसी का उदाहरण दिया।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर जीएस रजवार ने आयोजन समिति का धन्यवाद ज्ञापन किया वह कहा कि शोधार्थियों के लिए विशेष टिप्स दिए।

इसके पश्चात मुख्य अतिथि प्रोफेसर पीपी ध्यानी ने अब अपने उद्बोधन ने साइंटिफिक पेपर लिखने के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि हम अपने मस्तिक से साइंटिफिक गड़बड़ी को ठीक कर सकते है तथा तथा विश्लेषणात्मक तरीके से सुलझा सकता है।

उन्होंने कहा कि हर शोधार्थी को अपने विषय की मुख्य बारीकियों के बारे में पता होना चाहिए वह कहा कि हर शोधार्थी को शोध से पूर्व 3 प्रश्न मन में होने चाहिए प्रथम कैसे शोध की योजना करें, द्वितीय कैसे शोध को बोले, तथा तीसरा कैसे शोध को लिखें।

इसी के साथ उन्होंने सभी आयोजकों को शुभकामनाएं दी और कहा कि विश्वविद्यालय में इस प्रकार के कार्यक्रमों से शैक्षणिक माहौल बना रहेगा।

अंत मे विश्वविद्यालय परिसर के प्राचार्य प्रोफ़ेसर पंकज पंत ने अपने उद्बोधन में कहा कि शोधार्थी को शोध पत्र लिखने से पूर्व विज्ञान से संबंधित कार्य अपने शोध संबंधी कार्य को समझना चाहिए उन्होंने शोध पत्र लिखने से पूर्व फील्ड वर्क की महत्ता पर जोर दिया।

प्रथम तकनीकी सत्र में वक्ता डॉ अनूप कुमार ने हाइपोथेसिस एवं लिटरेचर रिव्यू की बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने बताया कि शोध पत्र लिखने के दौरान प्राथमिक आंकड़े अत्यंत महत्वपूर्ण होते है।

दूसरे व्याख्यान में प्रोफेसर जी.एस. रजवार ने रिसर्च की बारीकियों एवं उसके मायने को उजागर किया और साथ में रिसर्च पेपर को कागज पर उकेरा ने के तरीकों से रूबरू करवाया तथा शोध के दौरान साइटेशन एवं वैलिडेशन के महत्व को समझाया। उन्होंने शोध के मूलभूत सिद्धांतों एवं प्लेगेरिज्म साहित्यिक चोरी के बारे में भी बताया।

एक अन्य व्याख्यान में डॉ पारुल सिन्हा ने कहा कि एक अच्छा शोध पत्र सटीक मुद्दे पर लिखा जाए तभी वह एक अच्छा शोध पत्र कहा जाएगा उन्होंने अनेकों विज्ञान पत्रिकाओं के बारे में बताया उनकी वेबसाइटों से अवगत कराया उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से शोध पत्र लिखने के अनेकों तरीकों के बारे में भी बताया।

तकनीकी सत्र के अंतिम व्याख्यान में डॉक्टर सुनील कैंथोला ने बताया कि हर क्षेत्र में अध्ययन व शोध कार्य के दौरान महत्वपूर्ण आपात स्थितियों में विद्वानों की क्षमता का निर्माण और इन परिस्थितियों में जीवन रक्षक कौशल विकसित करना होगा।

आयोजन सचिव प्रो ढींगरा तथा डॉक्टर बृजमोहन शर्मा ने बताया कि इस कार्यशाला में श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज देहरादून, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट, मॉडर्न इंस्टीट्यूट ऋषिकेश, एम्स ऋषिकेश, डॉल्फिन इंस्टीट्यूट देहरादून, डीएनए लैब देहरादून व पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश आदि से 100 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया ।

इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर के विभागाध्यक्ष व प्राध्यापक तथा मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी के समस्त सदस्य उपस्थित थे।