एनटीन्यूज़: वी श के च राज स्नात महा डाकपत्थर में कल दिनांक 09 सितंबर को हिमालय दिवस के उपलक्ष में महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफ (डॉ) जी आर सेमवाल की अध्यक्षता में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ(कैप्टन) आशुतोष त्रिपाठी द्वारा सभी प्राध्यापक, कर्मचारी वर्ग व छात्र एवं छात्राओं को हिमालय व पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई।

प्राचार्य द्वारा बताया गया कि बीते दो दशकों में लगातार बदलते पर्यावरण ने हिमालय को बुरी तरह प्रभावित किया है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के चलते, लगातार पिघलते ग्लेशियर और बढ़ती झीलें प्रकृति में उथल-पुथल होने का संकेत हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि गांव के कुछ लोग धीमी बारिश में समूह में पारंपरिक नृत्य करते हुए अपने पहाड़, अपने हिमालय, अपने जल-जंगल-जमीन का उत्सव मनाते हैं। हिमालय दिवस का यही मकसद है। लोगों को हिमालय से जोड़ना।

9 सितंबर को उत्तराखंड में हिमालय दिवस मनाया जाता है। हिमालय के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने के उद्देश्य से ये दिन शुरू किया गया है। प्राचार्य द्वारा पर्यावरण में हो रहे दुष्परिणाम जैसे केदार आपदा, तपोवन त्रासदी आदि के बारे में भी बताया गया। प्राध्यापक डॉ आशुतोष त्रिपाठी द्वारा अवगत कराया गया कि सप्ताह भर राज्य में सरकारी-गैर-सरकारी संस्थानों में हिमालय दिवस कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

हिमालय का संरक्षण, हिमालय का संवरना तभी सम्भव होगा, जब स्थानीय लोग और खासतौर पर हमारी भावी पीढ़ी जागरुक हो। वे हिमालय के महत्व को समझें। जल संरक्षण को समझे। वे समझे कि लगातार हो रहा भू-क्षरण कितना खतरनाक है। पर्यावरण संरक्षण, बंजर खेत आबाद करना, यहां की जैव विविधता को बचाना कितना जरूरी है। जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हिमालय के प्रति हमारी जिम्मेदारियां और अधिक बढ़ जाती हैं।

प्राध्यापक वर्ग में प्रोफ राधेश्याम गंगवार, डॉ अरविंद अवस्थी, डॉ विजय सिंह नेगी, डॉ रोशन केशटवाल, डॉ राजकुमारी भंडारी, डॉ दीप्ति बगवाड़ी, डॉ राकेश मोहन नौटियाल, डॉ मुक्ता डंगवाल, डॉ राखी डिमरी, डॉ योगेश भट्ट, डॉ रोहित शर्मा, सुश्री दीपा राणा, मु प्र अधि श्री मनमोहन सिंह, श्री विपिन चंद्र काला, श्रीमती सोनी डिमरी , एन सी सी कैडेट्स में,सीनियर अंडर ऑफिसर अमन कुमार, अंकित, पंकज, हर्ष, आकांछा, सिमरन, आयुषी, सानिया, ज्योति, ईशा, और प्रिया पुंडीर आदि उपस्थित रहे।

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