एनटीन्यूज़: नमामि गंगे योजना के अंतर्गत वीर शहीद केसरी चंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर में आयोजित की गयी एक दिवसीय संगोष्ठी।
वीर शहीद केसरी चंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर में आज महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर जी आर सेमवाल की अध्यक्षता में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी का विषय हिमालय गंगा और उनके जल स्रोत: भारतीय जीवन का आधार रखा गया था। संगोष्ठी के समन्वयक डॉक्टर आर पी बडोनी एवं आयोजन सचिव डॉ राकेश मोहन नौटियाल के द्वारा संगोष्ठी को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। संगोष्ठी का संचालन डॉ अरविंद कुमार अवस्थी द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी द्वारा हिमालय एवं उससे जुड़ी जल स्रोत के संरक्षण और संवर्धन हेतु तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए गंगा की स्वच्छता हेतु स्पष्ट संदेश दिया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विकासनगर विधायक माननीय श्री मुन्ना सिंह चौहान द्वारा हिमालय को नदियों के उद्गम हेतु सर्वश्रेष्ठ स्थान बताया गया और जल संरक्षण हेतु हिमालय के संरक्षण पर विशेष रूप से बल दिया गया।
प्रो० डी सी नैनवाल, प्राचार्य डोईवाला कॉलेज ने पानी को शुद्ध बनाए रखने के लिए हिमालय एवं उसके आसपास के जल स्रोतों पर ध्यान देने पर अपने विचार प्रकट किए।
कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रोफेसर पी पी ध्यानी ने वैश्विक स्तर पर हिमालय एवं उससे जुड़े जल स्रोतों पर हो रहे शोध के बारे में विस्तृत जानकारी दी एवं अधिक से अधिक इस विषय पर कार्य करने हेतु छात्र छात्राओं का आह्वान किया।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार एवं भूगर्भ शास्त्री डॉ दीपक भट्ट के द्वारा जल स्रोत का धीरे-धीरे समाप्त होना, किंतु इनको संरक्षित करने हेतु चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने पर विशेष बल दिया गया। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर संतोष कुमार राय, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन स्टडीज ने उत्तराखंड की नदियों से निकलने वाले अवसाद और इससे होने वाले लाभो पर विशेष रूप से चर्चा परिचर्चा की। उन्होंने बताया गंगा के पानी से कैल्शियम कार्बोनेट की प्राप्ति होती है और उत्तराखंड से निकलने वाले जल स्रोतों के द्वारा मैदानी क्षेत्रों में उपजाऊ जमीन की मिट्टी और ताकतवर हो जाती है।
डॉ शिवानी बड़थ्वाल ने बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन एंड गंगा रिजूवनेशन पर अपना व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से जीव जंतुओं के संरक्षण एवं उनकी घटती संख्या पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने गंगा को निर्मल बनाने एवं जंगल बचाने पर जोर दिया, जिससे स्वाभाविक रूप से नदिया भी बचाई जा सकती है। जलीय जीव की मौजूदगी से ही नदी स्वच्छ है या नहीं इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। प्रोफेसर मधु थपलियाल, जंतु विज्ञान विभाग, रायपुर महाविद्यालय द्वारा लघु फिल्म ‘स्वच्छता और पानी’ के माध्यम से गंगा बचाव हेतु जागरूक संदेश दिया गया। तकनीकी सत्र की रिपोर्टिंग डॉ दीप्ति बगवाड़ी द्वारा संपन्न की गई एवं सत्रीय धन्यवाद ज्ञापन भी प्रस्तुत किया गया। अंत में कार्यक्रम के समन्वयक डॉ आर पी बडोनी द्वारा समस्त महाविद्यालय परिवार के सदस्यों, मुख्य वक्ताओं, मुख्य अतिथियों एवं छात्र छात्राओं का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। संगोष्ठी में प्राध्यापक वर्ग में डॉ विजय सिंह नेगी, डॉ राखी डिमरी, डॉक्टर आशाराम बिजलवान, डॉ विनोद रावत, डॉ दिलीप भाटिया, डॉ योगेश भट्ट, डॉ पूरन सिंह चौहान, डॉक्टर पूजा राठौर, डॉ राजकुमारी भंडारी, डॉ माधुरी रावत, डॉ राकेश कुमार जोशी, डॉक्टर एस के कुडीयाल, डॉक्टर पूजा राठौर, डॉक्टर पूजा पालीवाल, श्रीमती भावना गर्ग, डॉ रुचि बहुखंडी, डॉक्टर अमित गुप्ता, डॉक्टर निरंजन प्रजापति, डॉ अशोक कुमार, डॉ रुचि बडोनी, डॉक्टर श्वेता पांडे, डॉ जयश्री थपलियाल, कर्मचारी वर्ग में महाविद्यालय मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री मनमोहन सिंह, श्री शूरवीर दास, श्री राजेश वर्मा, श्रीमती शीतल, श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, श्री दीपक एवं श्री आवेश आदि उपस्थित रहे।