हरिद्वार: श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी, मायापुर, हरिद्वार उत्तराखंड, भारत के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन सावन शिवरात्रि पड़ने वाली है।
इस साल सावन के महीने में यह तिथि 2 अगस्त की दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 3 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा।
इस चलते सावन शिवरात्रि का व्रत शुक्रवार 2 अगस्त, 2024 के दिन रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि सावन शिवरात्रि की पूजा का रात्रि प्रथम प्रहर का मुहूर्त शाम 7:11 से 9:49 बजे तक रहेगा. रात्रि का द्वितीय प्रहर का शुभ मूहूर्त 09:49 रात से 12:27 ( 3 अगस्त) को है।
इसके बाद रात्रि का तीसरे प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त 12:27 से 03:06 एएम, (3 अगस्त) और चतुर्थ प्रहर का शुभ मुहूर्त 03:06 से 05:44 ( 3 अगस्त) को है।
इसके बाद पूजा का चतुर्दशी मुहूर्त 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से शुरू हो रहा है और इसका समापन 3 अगस्त दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा।
शिवोपासना संस्थान, डरबन साउथ अफ्रीका के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि श्रावण मास यानी सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है।
इस महीने भक्त पूरे मनोभाव से भगवान शिव की पूजा-आराधना करते हैं. हर महीने पड़ने वाली शिवरात्रि को मासिक शिवरात्रि कहते हैं और सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि सावन शिवरात्रि कहलाती है।
मान्यतानुसार सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा-आराधना करना अत्यधिक फलदायी होता है।
उन्होंने कहा कि सावन शिवरात्रि पर महादेव का पूजन करने पर भगवान शिव भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। लेकिन, इस साल सावन शिवरात्रि की सही तिथि को लेकर भक्तों में उलझन की स्थिति बन रही है।
उन्होंने कहा कि शिवरात्रि की पूजा सामग्री में फूल, शहद, दही, धतूरा, बेलपत्र, रोली, दीपक, पूजा के बर्तन और साफ जल समेत गंगाजल को शामिल किया जाता है. पूजा करने के लिए भक्त सुबह मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं।
शिवरात्रि पर भगवान शिव को कच्चे दूध और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद एक-एक करके पूजा की सभी सामग्री भगवान पर अर्पित की जाती है। देसी घी का दीपक भगवान के समक्ष जलाया जाता है। शिव पूजा का समापन करने के लिए भगवान को भोग लगाने के बाद शिव आरती और शिव मंत्रों का जाप किया जाता है।