Wednesday, September 17, 2025

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श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम सम्पन्न : बौद्धिक संपदा पर जागरूकता एवं नवाचार को मिला नया आयाम

16 सितंबर, 2025, छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का अंतिम दिन आज उत्साह और गहन अकादमिक चर्चाओं के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम में बौद्धिक संपदा अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई।

प्रख्यात विशेषज्ञ डॉ. के. टी. वरघीज़ (Intellectual Property Counsel, IP Empowerment एवं Patent Agent Exam Trainer) ने सुबह “Innovation in Academia” विषय पर व्याख्यान दिया।

उन्होंने अकादमिक संस्थानों में नवाचार के महत्व, अनुसंधान को संरक्षित करने की विधियों और पेटेंट की भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रतिभागियों को पूर्व कला खोज (Prior Art Search) की तकनीकों और पेटेंट दस्तावेज़ों को पढ़ने की विधियों से भी अवगत कराया। उन्होंने अपने गहन व्याख्यानों के माध्यम से प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा के उपयोग, पेटेंट प्रक्रिया और अकादमिक नवाचार के महत्व से अवगत कराया।

उनके विचारों ने प्रतिभागियों को यह समझने में मदद की कि उच्च शिक्षा में शोध और नवाचार किस प्रकार से पेटेंट संस्कृति से सीधे जुड़ते हैं और कैसे यह शोधकर्ताओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिला सकते हैं। दोपहर में उन्होंने उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों को पूर्व कला खोज (Prior Art Search) करने की तकनीकों और पेटेंट दस्तावेज़ों को पढ़ने की विधियों से परिचित कराया। यह सत्र शोधकर्ताओं और शिक्षकों दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी रहा।

उन्होंने प्रतिभागियों को पेटेंट आवेदन प्रक्रिया, पूर्व कला खोज की तकनीकों तथा शोध पत्रों और पेटेंट दस्तावेज़ों को पढ़ने की बारीकियों से अवगत कराया। वहीं अंतिम सत्र में सुश्री मुस्कान रस्तोगी (Registered Patent Agent) ने “प्रसिद्ध केस लॉज़” के उदाहरणों के माध्यम से IPR की व्यावहारिक उपयोगिता को समझाया। विभिन्न न्यायालयीन निर्णयों और उनके प्रभावों को सरल भाषा में समझाते हुए उन्होंने प्रतिभागियों को IPR की व्यावहारिक उपयोगिता से जोड़ा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक प्रो. अनीता तोमर प्रो. अनीता तोमर (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, गणित विभाग, पी.टी. एल.एम.एस. कैम्पस, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, ऋषिकेश) ने की। अपने प्रेरक उद्बोधन में उन्होंने कहा कि “बौद्धिक संपदा केवल कानून का विषय नहीं, बल्कि यह शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों की सोच को वास्तविकता में बदलने का माध्यम है।

Empowering Educators through IPR Literacy and Innovation’ विषय पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (10–16 सितंबर, 2025), जो श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर द्वारा आयोजित किया गया, सीखने, विचार-विनिमय और प्रेरणा की एक अद्भुत यात्रा रही।

इस छह दिवसीय कार्यक्रम के दौरान अकादमिक जगत, उद्योग और व्यावहारिक क्षेत्र से आए विशेषज्ञों ने बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के विविध पहलुओं पर अपना ज्ञान साझा किया— जिसमें पेटेंट, कॉपीराइट और डिज़ाइन जैसे मूलभूत विषयों से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा IPR संरक्षण, पेटेंट फाइलिंग और प्रॉसिक्यूशन, वाणिज्यीकरण तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियों जैसे उन्नत विषय शामिल थे।

कार्यक्रम डॉ. सीमा बनीवाल और डॉ. अतल बिहारी त्रिपाठी के समर्पित प्रयासों और सूक्ष्म समन्वय ने प्रत्येक सत्र को सुचारू रूप से संपन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम न केवल प्रतिभागियों की IPR संबंधी समझ को सुदृढ़ करती है, बल्कि उच्च शिक्षा और समाज में सतत् नवाचार के लिए इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करती है।

कार्यक्रम के समापन पर यह सामूहिक निष्कर्ष स्पष्ट हुआ कि— शिक्षकों को IPR साक्षरता से सशक्त बनाना, उच्च शिक्षा में रचनात्मकता, सत्यनिष्ठा और नवाचार की संस्कृति को पोषित करने की दिशा में एक अनिवार्य कदम है।”

डॉ. सीमा ने पूरे कार्यक्रम के अकादमिक समन्वयन की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने प्रतिभागियों को IP awareness की प्रत्येक बारीकी से जोड़े रखा और विभिन्न सत्रों को सुचारू रूप से संयोजित किया।

उन्होंने कहा कि “IPR की जानकारी के बिना आज के शोध की पूर्णता संभव नहीं है। इस यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ने शिक्षकों को वह दृष्टिकोण प्रदान किया है, जिससे वे विद्यार्थियों में भी नवाचार और पेटेंट संस्कृति को प्रोत्साहित कर सकें।”

समापन अवसर पर समन्वयक डॉ. अतल बिहारी त्रिपाठी ने फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियों, अकादमिक महत्त्व और चर्चाओं के निष्कर्षों को रेखांकित किया।कार्यक्रम को प्रख्यात व्यक्तियों— डॉ. अनीता गहलौत, प्रो. राजेश सिंह, श्री यासीन अब्बास ज़ैदी, सुश्री मुस्कान रस्तोगी, डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, डॉ. चंदर मोहन नेगी, डॉ. रितेश माथुर, डॉ. कलैयारासन अरुमुगम, डॉ. सुधीर सिंह तथा डॉ. के. टी. वरघीज़— के योगदानों से और समृद्ध किया गया।

उनके विचारों ने प्रतिभागियों को व्यावहारिक उपकरण और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान किए, जिससे शिक्षकों को विद्यार्थियों और शोधार्थियों को नवाचार को बढ़ावा देने और बौद्धिक संपदा की रक्षा करने में बेहतर मार्गदर्शन करने की प्रेरणा मिली।

अंत में, सभी प्रतिभागियों ने अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम उनके लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक रही और इससे उन्हें नवाचार एवं शोध को आगे बढ़ाने की नई दृष्टि मिली।

यह कार्यक्रम न केवल उनके ज्ञान में वृद्धि का कारण बना, बल्कि बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में नए शोध और नवाचार की संभावनाओं के द्वार भी खोलेगा। कार्यक्रम का सफल संचालन और समापन, संयोजकों एवं आयोजन समिति के अथक प्रयासों से संभव हुआ। बौद्धिक संपदा अधिकारों पर आधारित कार्यक्रम आज अत्यंत उत्साह और गंभीर चर्चा के साथ संपन्न हुआ।

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