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- धरोहर की रक्षा और नवाचार का समावेश ही पर्यटन को स्थायी बनाता है-. एन. के. जोशी
ऋषिकेश, 18 सितम्बर 2025: देवभूमि उद्यमिता योजना के अन्तर्गत स्थापित उद्यमिता एवं परिनवाचार केन्द्र (Centre of Excellence in Entrepreneurship and Incubation), श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा “पर्यटन में बौद्धिक संपदा अधिकार” विषय पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (NIPAM) के अन्तर्गत पेटेंट कार्यालय, दिल्ली के सहयोग से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ अनीता तोमर, निदेशक, उद्यमिता एवं परिनवाचार केन्द्र और विज्ञान संकाय के डीन प्रो. एस. पी. सती की उपस्थिति में हुआ।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में उन्होंने इस तथ्य पर बल दिया कि पर्यटन उद्योग का भविष्य केवल प्राकृतिक आकर्षणों पर नहीं, बल्कि सतत विकास, प्रामाणिकता और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे मूल्यों पर आधारित है। माननीय कुलपति ने प्रतिभागियों को यह संदेश दिया कि बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) की समझ अकादमिक अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता—सभी क्षेत्रों में नई संभावनाओं के द्वार खोल सकती है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि यदि स्थानीय उद्यमी और युवा शोधार्थी IPR का सही उपयोग करना सीख जाएँ, तो न केवल उत्तराखण्ड बल्कि पूरे भारत के पर्यटन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई जा सकती है। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि—“सतत पर्यटन ही सुरक्षित भविष्य की कुंजी है; और IPR वह शक्ति है जो विचारों को विरासत और विरासत को वैश्विक पहचान में बदल सकती है।” माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने कार्यक्रम की सफलता पर प्रो. अनीता तोमर, निदेशक उद्यमिता एवं परिनवाचार केन्द्र तथा कार्यक्रम की संयोजक, और उनकी पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और नवाचार यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा और इसकी सफलता का श्रेय आयोजन समिति के समर्पण और उत्कृष्ट कार्यसंस्कृति को जाता है।
प्रो. अनीता तोमर, निदेशक, उद्यमिता एवं परिनवाचार केन्द्र ने कहा कि पर्यटन केवल प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें स्थानीय हस्तशिल्प, विशिष्ट ब्रांडिंग और भौगोलिक संकेतक (GI) जैसे अमूर्त पहलू भी शामिल हैं। ।
उन्होंने कहा—“हर स्टार्टअप एक विचार से जन्म लेता है, परन्तु केवल वही आगे बढ़ पाता है जो बौद्धिक संपदा के महत्व को समझता है।” यह कार्यक्रम न केवल हमारे विद्यार्थियों और अध्यापकों में नवाचार की चेतना जगाता है, बल्कि उत्तराखण्ड जैसे पर्यटन प्रधान राज्य के लिए सांस्कृतिक संरक्षण और आर्थिक विकास की दिशा में ठोस कदम है ।
प्रो. अनीता तोमर ने कहा कि नवाचार तभी फलता-फूलता है जब विचार सुरक्षित हों और धरोहर तभी संरक्षित रहती है जब रचनात्मकता का सम्मान किया जाए।”
मुख्य वक्ता श्री यासिर अब्बास ज़ैदी, NIPAM अधिकारी (NIPAM 2.0) एवं पेटेंट एवं डिज़ाइन परीक्षक, पेटेंट कार्यालय, दिल्ली ने प्रतिभागियों को पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और डिज़ाइन संबंधी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि किस प्रकार IPR पर्यटन क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा का भी सशक्त माध्यम बन सकता है।
प्रो. एम. एस. रावत, कैम्पस निदेशक ने प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि यह पहल विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण है। मैं इस आयोजन से जुड़े सभी शिक्षकों, आयोजकों और विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।”
अंत में डॉ. शालिनी रावत, प्रशिक्षित फैकल्टी मेंटर ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और सभी अतिथियों, प्रतिभागियों तथा आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. ए. पी. दुबे द्वारा प्रभावशाली ढंग से किया गया, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम को सहज और गरिमामयी वातावरण प्रदान किया।
इस कार्यक्रम में कुल 103 प्रतिभागियों—विद्यार्थी, शोधार्थी एवं प्राध्यापक—ने देश के विभिन्न हिस्सों से सक्रिय भागीदारी की। प्रतिभागियों में विशेष रूप से विज्ञान संकाय के डीन प्रो. एस. पी. सती, प्रो. कंचन लता सिन्हा, प्रो. नीता जोशी तथा डॉ. सीमा जैसी प्रतिष्ठित विद्वान हस्तियाँ भी शामिल रहीं।