17 जुलाई 2025 : श्री सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 समिति द्वारा आयोजित श्री शिव महा पुराण कथा के सातवे दिवस की कथा का शुभारंभ करते हुए परम पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री महाराज जी ने श्रोताओ को बताया की शिव पार्वती विवाह संपन्न होने के उपरांत माता पार्वती की विदाई का समय जब आ गया तब माता मैना रानी ने अपनी पुत्री पार्वती को समझाते हुए कहती है कि है बेटी आपका जन्म विश्व कल्याण के लिए हुआ है क्योंकि भगवान शिव जगत के पिता है तो तुम आज से जगत की माता बन गई हो।

मैना रानी ने माता पार्वती को स्त्री धर्म बताया। उन्होंने कहा कि साध्वी स्त्री का यह धर्म है कि वह मन, वचन और कर्म से पति की परायण रह कर उसकी सेवा करे। उन्होंने बताया कि संसार के अंदर तीन प्रकार के अधिकार हैं।

जन्म सिद्ध, कर्म सिद्ध और धर्म सिद्ध अधिकार। धर्म सिद्ध अधिकार पत्नी को प्राप्त होता है। इसके आधार पर मुख्य पत्नी का कर्तव्य है कि वह अपने ससुराल के कुल मर्यादा का ध्यान रखते हुए हर्षोल्लास पूर्वक जीवन व्यतीत करे। मैना रानी सामाजिक स्त्रियों को यह संदेश देना चाहती है कि पुत्री पर आपका अधिकार तभी तक है जब तक वह आपके पास है आप के घर पर है लेकिन विवाह के उपरांत उस पर आपका कोई अधिकार नहीं रहता है उसे ससुराल के परिवार की सेवा तथा उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए इसी में ही उसके घर की सुख समृद्धि बनी रहती है।

महाराज श्री ने श्रोताओ को बताया की शिव पार्वती विवाह शोकनाशक , आनंददायक तथा धन और आयु की वृद्धि करने वाला प्रसंग है इस शुभ प्रसंग को सुनने से अपमृत्यु का शमन होता है और परम शांति की प्राप्ति होती है यह समस्त दु:ख के प्रभावों का नाशक तथा बुद्धि एवं विवेक आदि का साधक् है अपने शुभ की इच्छा रखने वाले लोगों को शिव संबंधी सभी उत्सवों मे प्रसन्नता के साथ प्रयत्न पूर्वक इसका पाठ करना चाहिए यह भगवान शिव को संतोष प्रदान करने वाला है।

विशेषत: देवता आदि की प्रतिष्ठा के समय तथा शिव सम्बन्धी सभी कार्यों के प्रसंग मै प्रसन्नता पूर्वक इसका पाठ करना चाहिए अथवा पवित्र होकर शिव- पार्वती की इस कल्याणकारी चरित्र का श्रवण करना चाहिए ऐसा करने से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं यह सत्य है इसमें कोई संशय नहीं ।और अंततः शिव -पार्वती और सभी शिव गण अपने निवसभूत कैलाश पर्वत पर लौट आए।और समस्त शिव गणो को इस विवाह से बड़ा सुख मिला।वे अत्यंत भक्तिपूर्वक शिव और शिवा की आराधना करने लगे।

कथा मे मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के मुख्य यजमान प्रभात गुप्ता और उनकी धर्मपत्नी रेनू गुप्ता,
जय प्रकाश,राकेश मालवीय,दिलीप गुप्ता,तेज प्रकाश,अनिल चौहान, सुनील चौहान,मानदाता,मोहित तिवारी,हरिनारायण त्रिपाठी,कुलदीप कुमार,अवधेशपाल,रामललित गुप्ता, धर्मपाल,अंकित गुप्ता,दिनेश उपाध्याय,हरेंद्र मौर्य,अलका शर्मा, संतोष चौहान , पुष्पा गुप्ता,सरला शर्मा,विभा गौतम ,अनपूर्णा, राजकिशोरी मिश्रा,मिनाक्षी,कौशल्या, तनु चौहान, नीतू गुप्ता,कुसुम गैरा,मनसा मिश्रा ,सुनीता चौहान, रेनू,बबिता,कृष्णा चौधरी और अनेको श्रोता गण कथा मे सम्मिलित हुए।

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