नैनीताल: जगन्नाथपुरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा है कि सेकुलर शासनतंत्र को हिंदुओं के मठ मंदिरों में अतिक्रमण का अधिकार नहीं है। शासकों को सहभागिता निभानी चाहिए। संविधान की सीमा में रहकर मठ मंदिरों में अतिक्रमण करने वालों का विरोध होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी जगन्नाथपुरी पीठ के मामले में पारित फैसले में इसी दृष्टिकोण को स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री से लेकर उड़ीसा के मुख्यमंत्री ने भी इसी दृष्टिकोण को माना है।
नैनीताल क्लब के शैले हॉल में आयोजित संवाद कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के सवालों का जवाब में उन्होंने कहा कि धर्म की सीमा में अतिक्रमण कर राजनीति को परिभाषित किया जा रहा है। वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह राजनीति उन्माद, सत्तालोलुपता व अदूरदर्शिता का नाम है। राजनीति में अर्थ का दुरुपयोग हो रहा है, इससे विकृति पैदा हुई है।
राजनीति अर्थनीति के साथ द्वंदनीति बन गई है। वर्तमान चुनाव प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा कि राजनीति सुशिक्षित, सुरक्षित, सुसंस्कृत, सेवा परायण, स्वस्थ, सर्वप्रिय प्रद होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि वर्तमान में दो प्रतिशत राजनेता व्यक्तित्व के बल पर जबकि 98 प्रतिशत दूसरे हथकंडे अपनाकर चुनाव जीत रहे हैं। धर्मनिरपेक्षता की वजह से धर्मप्रेमी राजनेता भी खुलकर भावनाओं को व्यक्त नहीं कर रहे हैं। उनके सामने दलीय या पार्टी का अनुशासन आड़े आ रहा है। बोले राजनीतिक लोग अंधेरे में मानवजीवन के विकास का क्रियान्वयन कर रहे हैं।
उन्होंने फल और पुष्प के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए अधिक से अधिक पौधरोपण की अपील भी की। उन्होंने कहा की वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सनातन को स्थान नहीं है। अन्धेरे में परंपरा से नीति व अध्यात्म से सिद्धांत बनाये जा रहे हैं। जब सनातन के अनुसार शासन नहीं चलता है तो तब आक्रमण होता है।