उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा उनको भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। हरक पिछले कुछ समय से कांग्रेस नेताओं के लगातार संपर्क में थे।

हरक सिंह रावत अपने अलावा अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए भी टिकट मांग रहे थे। भाजपा से दोनों को टिकट न मिलता देख हरक कांग्रेस में शामिल होने की योजना बना रहे थे। उनके भाजपा छोड़ने से पहले भाजपा ने ही उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। हरक सिंह को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया है।

हरक सिंह 2016 में कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आए थे। नौ कांग्रेसी विधायकों के साथ हरक सिंह रावत 2016 में हरीश रावत का साथ छोड़ भाजपा में आने की वजह से चर्चा में आए थे। उस समय भाजपा ने उन्हें कोटद्वार से टिकट देकर उम्मीदवार बनाया था, चुनाव जीतने के बाद उन्हें भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके लगभग चार साल के कार्यकाल में छत्तीस का आंकड़ा बना रहा।

कर्मकार बोर्ड की अनियमितताओं और नियुक्तियों को लेकर वे त्रिवेंद्र से सीधे-सीधे टकराते रहे। उनकी नाराजगी की खबरें लगातार तैरती रहीं। हरक एक ओर तो हरक कोटद्वार की सीट बदलने और अपनी बहू के लिए भी टिकट मांग कर वह भाजपा पर लगातार दबाव बना रहे थे तो दूसरी ओर कांग्रेस में अपनी वापसी की राह भी प्रशस्त करने में जुटे थे। ताजा घटनाक्रम में वह रविवार को दिल्ली रवाना हो गए थे। पिछले तीन दिन में हरक सिंह रावत दूसरी बार दिल्ली गए हैं। उनके अचानक दोबारा दिल्ली रवाना होने की खबर पाते ही एक बार फिर सियासी हलचल शुरू हो गई थी।

प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के हवाले से पार्टी के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि अनुशासनहीनता के कारण डॉ हरक सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी में अनुशासनहीनता को स्वीकार नहीं किया जाएगा।