कोटा, राजस्थान, 19 – 4 – 2025 : संस्कार भारती कोटा के संरक्षक श्री हरिहर बाबा एवं कला संस्कृति सेवी देवेंद्र कुमार सक्सेना ने बताया कि विश्व विरासत दिवस पर यूनेस्को द्वारा श्रीमद्भागवत गीता एवं भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को अपने ” मेमोरी आॅफ द वर्ल्ड रजिस्टर ” में शामिल करना भारतीय धर्म अध्यात्म कला नाट्य संस्कृति संगीत दर्शन की प्राचीन परम्परा की प्रतिष्ठा है।

इस उपलब्धि पर हम सभी भारतीयों को गर्व है।

उन्होेंने बताया कि संस्कार भारती केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक पिछले दिनों हुई संस्कार भारती के केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में हास्य विधाओं में भारतीय मूल्य बोध की पुनः स्थापना आवश्यक के लिये प्रस्ताव पास किया गया।

भारत की नाट्य परम्परा विश्व की सबसे प्राचीनतम और समृद्ध तम परम्परा है। जिसकी आधार शिला भरत मुनि द्वारा रचित नाट्य शास्त्र में रखी गई है। इसमें वर्णित रस, भाव, सिद्धांत भारतीय नाट्य परम्परा की आत्मा है जो केवल मनोरंजन ही नहीं लोक शिक्षा और चित्त विनोद का साधन है हास्य रस को नौ रसो में भी महत्वपूर्ण माना गया है। यह परम्परा सामाजिक चेतना, मानवीय व्यवहार, संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृति की संवाहक रही है।

आज हास्य में स्टेंडअप काॅमेडी की आधुनिक अभिव्यक्ति का नया रुप युवाओं को आकर्षित कर रहा है यह अश्लीलता, योन संकेतों, अशोभनीय भाषा, धर्म, जाति, लैंगिक असंवेदनशीलता और राष्ट्रीय मूल्यों की अवमानना का मंच बनता जा रहा है।

सामाजिक सांस्कृतिक प्रथाओं परम्पराओं का मजाक गालियां, यौन संकेतों या साम्प्रदायिक टिप्पणियों के सहारे हंसी बटोरने का प्रयास किया जा रहा है।

यह प्रवृत्ति हमारे युवाओं बच्चों को दिशा को मार्ग भटकाने के लिए है।

संस्कार भारती के पूर्व प्रांत अध्यक्ष हरिहर बाबा व कला संस्कृति सेवी देवेंद्र कुमार सक्सेना ने कहा कि संस्कार भारती केंद्रीय कार्यकारिणी जन जन के साथ-साथ प्रशासन, कलाकार एवं युवाओं को अपनी शाखाओं के माध्यम से जाकरूक करेंगी । ताकि भारतीय कला संस्कृति नाट्य का सही स्वरूप युवा समझकर उसे आत्मसात कर सकें जिससे चरित्रवान युवा भारत के निर्माण में योगदान दे सके।

नौजवान उठो वक्त यह कह रहा।

खुद को बदलो जमाना बदल जायेगा।

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