डा0 संदीप भारदॄाज,एनटीन्यूज़,18 नवंबर 2021:  पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग के तत्वावधान मे गंगा नदी को विश्व की धरोहर बनाने के अभियान हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

इस कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ शम्भू नौटियाल, डॉक्टर नारायण सिंह राणा, श्री सोवेन्दर सिंह, श्रीमती कल्पना थे।
एमएलटी विभाग के समन्वयक प्रोफेसर जी.के. ढींगरा ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने डॉक्टर शंभू प्रसाद जी का आभार व्यक्त किया कि वह गंगा को विश्व धरोहर बनाने की मुहिम चला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गंगानदी की महत्ता को इसी बात से समझा जा सकता है इससे करोड़ों लोगों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका चलती है लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण व अन्य कारणों से गंगा पर बढ़ता प्रदूषण चिंताजनक है। इसलिए सरकारी स्तर से किये जा रहे प्रयासों को तभी कामयाबी मिलेगी जब इसमें जन जन का पर्याप्त सहयोग मिले। साथ ही उन्होंने कहा कि रासायनिक पदार्थो का जल में विलय हो जाने के कारण जलीय जीवो तथा जलीय पौधों को भारी नुकसान होता है जलीय जीव जन्तुओ और पेड़ पौधों विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रहे है।

गंगा नदी की स्थिति यह है अनेक स्थानों पर तो इसका जल अब आचमनी व स्नान करने योग्य भी नहीं रह गया है। इसलिए आज हम सबका कर्त्तव्य है कि गंगा नदी की अविरल व स्वच्छ रखकर इनके जीवन को बचाना होगा। क्योंकि गंगा की सफाई और उसके अस्तित्व में ही देश की भलाई निहित है। उन्होंने विश्वविद्यालय की तरफ से इस अभियान में पूर्ण सहयोग देने की बात की।

ऋषिकेश विश्वविद्यालय परिसर के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो०डी.के.पी. चौधरी ने भारत सरकार के स्पर्श गंगा, नमामि गंगा जैसे प्रोजेक्ट के बारे में बताया तथा कहा कि सभी लोगों को दूसरों से अपेक्षा रहती है किंतु हमें अपने आप भी इस विषय पर काम करना होगा। उन्होंने गंगा के सांस्कृतिक पक्षों विवेचना करते हुए कहा कि गंगा के प्रति करोड़ो लोगों की आस्था है इसलिए इसका समग्र अध्ययन करके इसे विश्व धरोहर के लिए पहल जरूरी है।

राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ नारायण सिंह राणा ने मां सरस्वती को नमन करते हुए, डॉ ढींगरा का आभार व्यक्त किया उन्होंने बताया कि डॉक्टर शंभू का जुड़ाव गंगा की ओर रहा है। उन्होंने गंगा की शुद्धता पर ध्यान देने की बात कही तथा कहा कि हमे अपने स्वयं के स्तर से ही इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया की किस प्रकार प्लास्टिक की थैलियों के द्वारा गंगा में प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ रहा है तथा उन्होंने अनुरोध किया कि हम सभी को अपने साथ एक थैला रखना चाहिए ताकि हम कम से कम प्लास्टिक का प्रयोग कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जुलाई 2022 तक भारत को पॉलिथीन मुक्त करने का संकल्प लिया है जिसमें हम सभी को अपना योगदान देना है। डॉक्टर नारायण सिंह राणा को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम के द्वारा शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है तथा उन्हें यूकोस्ट की ओर से बेस्ट टीचर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है उनकी कई पुस्तकें पर्यावरण से संबंधित है। उन्होंने गंगा को धरोहर घोषित करने के लिए इस अभियान को गोमुख से ही चलाने का आवाहन किया।

राज्य शैक्षिक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक श्री सोवेन्दर सिंह ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर चर्चा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मां गंगा हमारी धरोहर है तथा यह हमारे गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है इसीलिए हमें गंगा को विश्व धरोहर बनाने के लिए प्रयास करने हैं, जिसका शुभारंभ इस विश्वविद्यालय परिसर द्वारा हो रही है उन्होंने छात्र छात्राओं को इस मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने को प्रेरित किया।

डॉक्टर शंभू प्रसाद नौटियाल ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से गंगा को विश्व धरोहर घोषित करने की मुहिम के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गंगा नदी को अनेकों दुर्लभ व जलीय प्रजातियों का घर माना जाता है, इसमें गंगेटिक डॉल्फिन, ऊदबिलाव, घड़ियाल, दलदली मगरमच्छ, एस्टुरीन मगरमच्छ और कछुए आदि के अलावा मछलियों की सैकड़ों प्रजातियाँ पाई जाती हैं। गंगा में हालांकि जल की मात्रा ज्यादा होने के बावजूद जल पीने योग्य नहीं है जिसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं जबकि हमें संविधान में 51 ए (जी) के अन्तर्गत प्रदत्त मौलिक अधिकारों में प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करने और उसका संवर्धन करने तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखने के दायित्व दिया गया है। इसलिए इस राष्ट्रीय धरोहर को अगली पीढ़ी को सौंपने के लिए गंगा को विश्व धरोहर घोषित किये जाने का प्रयास कर गंगा की जैव विविधता को बचाना होगा उन्होंने कहा कि इस विषय को व्यापक बनाने का प्रयास करना चाहिए तथा यूनेस्को के माध्यम से इस मुहिम को आगे बढ़ाना है उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें वैज्ञानिक जागरूकता की भी आवश्यकता है तथा वैज्ञानिक सोच से ही हम गंगा को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं और टूलकिट के माध्यम से पानी की गुणवत्ता को मापने के विषय में भी विस्तार से चर्चा की।

मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी के छात्रों ने उनसे इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए तथा गंगा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए अपने सुझाव भी दिये।
इस अवसर पर मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग व वनस्पति विज्ञान विभाग के समस्त संकाय सदस्य एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।