- युवा पीढ़ी खर्चीली शादियों , बाल विवाह, दहेज प्रथा आदि का विरोध कर रोकें ..
- सामुहिक आदर्श विवाहों का प्रचलन बढे…..
अक्षय तृतीया पर देवेंद्र कुमार सक्सेना का विशेष लेख देवेंद्र कुमार सक्सेना एक समाज सेवी हैं आप राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा में संगीत विभाग में तबला वादक के पद पर कार्यरत हैं।
भारतीय संस्कृति में विवाह को एक पवित्र गठ बंधन, दो आत्माओं एवं दो परिवारों का मिलन मानते हैं।
किंतु इस महंगाई के दौर में खर्चीली शादियों का प्रचलन भारत को अन्य देशों से अलग करता है कुछ धनपति लाखों करोड़ों रुपए शादी में खर्च करते हैं।
पडोसी धनपतियों की मध्य आय अल्प आय वर्ग के व्यक्ति नकल करके येन केन प्रकारेण धन विवाहों में पानी की तरह बहाते है।
अगर रोकनी है बर्बादी बंद करो खर्चीली शादी…आचार्य श्रीराम शर्मा एवं वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा का यह नारा बहुत ही प्रेरणास्पद हैं ।
सामुहिक आदर्श विवाहों का प्रचलन बढे……..
यह अच्छी बात है कि आजकल कई भारतीय समाजों में सामुहिक विवाहों का प्रचलन बढ़ रहा है।
कई समाजों में सामुहिक परिचय सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय गायत्री परिवार, आर्य समाज के माध्यम से भी आदर्श विवाह सम्पन्न हुआ है।
हम भारतीय बिना दहेज की कम खर्चीली शादियों, आदर्श विवाहों, एवं सामुहिक विवाह सम्मेलनों
को आयोजित कर देश वासियों को गरीब व बेईमान बनाने वाले प्रचलन को सदा के लिए बंद करें, वही पैसे वर वधु के नाम बैंक में, जीवन बीमा,पोस्ट आफिस बैंक में अल्प बचत में जमा कर भविष्य को सुरक्षित करें।
समझदार युवक युवतियों विरोध करें…
वैशाख मास शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया (3 मई ) पर देश में विवाहों के हजारों आयोजन होगें इस अवसर पर कुछ राज्यों में बाल विवाह होतें है…. कृपया उंहे रोकने के लिए जिला प्रशासन की मदद लें उन्हें तुरंत गोपनीय और पुख्ता जानकारी दें…
समझदार युवक युवतियां पहले आगे आकर सरकारी गैरसरकारी सर्विस या अपना व्यवसाय करें फिर शादी की बात सोचें।
कोई भी युवती दहेज लोभी से शादी न करें।
और खर्चीली शादियों का विरोध करें।
स्वयं समाज से कुरीतियों को समाज से मिटायें