हरिद्वार जिला स्थित धनौरी पी.जी. कॉलेज, धनौरी महाविद्यालय के भूगोल संकाय द्वारा दिनांक 18-19 नवंबर, 2024 को दो दिवसीय भौगोलिक शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया गया।

इस आयोजन के अंतर्गत ग्राम इमली खेड़ा हरिद्वार और टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून का क्षेत्रीय सर्वेक्षण किया गया।

भौगोलिक सर्वेक्षण का आयोजन महाविद्यालय के सचिव माननीय श्री आदेश कुमार तथा प्राचार्य डॉ. विजय कुमार की अध्यक्षता में किया गया।

भूगोल विभाग के प्रभारी डॉ. शांति सिंह के निर्देशन में स्नातक पंचम सत्र के छात्र-छात्राओं को भौगोलिक सर्वेक्षण के द्वारा ऊनी वस्त्र उद्योग एवं भूमिगत जल द्वारा बनने बाली स्थलाकृतियों का अध्ययन कराया गया। सर्वेक्षण के प्रथम दिवस पर छात्र-छात्राओं को इमली खेड़ा ग्राम में संचालित विभिन्न उद्योगों का अवलोकन कराया गया।

इस दौरान छात्र-छात्राओं ने स्थानीय उद्योगों मे उत्पादन और आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि ग्रामीण स्तर पर लघु उद्योगों का विकास कैसे होता है।

और यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को किस प्रकार से सुदृढ़ करता है छात्रों को इन उद्योगों के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव एवं दुष्प्रभाव और उसके निवारण हेतु किए जाने वाले प्रयासों से भी अवगत कराया गया। डॉ शांति सिंह ने बताया भूगोल शिक्षण में क्षेत्रिय भ्रमण का महत्वपूर्ण स्थान है।

क्षेत्रिय भ्रमण ऐसी शिक्षा पर बल देता है, जो अधिक मात्रा में व्यावहारिक और जीवन उपयोगी ज्ञान प्रदान कर सके।क्षेत्रिय भ्रमण कक्ष के बाहर भ्रमण करने का व्यवस्थित एवं सुदृढ रूप है,जिसका संचालन महाविद्यालय द्वारा पाठ्यक्रम के एक अंग के रूप में किया जाता है।

भौगोलिक सर्वेक्षण के द्वितीय दिवस में टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून परिसर का सर्वेक्षण कराया गया। यह क्षेत्र कास्ट स्थलाकृतियों वाला क्षेत्र है।

डॉ. शांति सिंह ने बताया कि कास्ट स्थलाकृतियों वाले धरातलीय भूभाग पर चूना पत्थर या कार्बोनेट के रासायनिक अक्षय के कारण बनने वाला भू -आकृतियों से स्टैलेग्टाइट्स, स्टैलग्माइट धीरे-धीरे विकसित होते हैं। जो “शिवलिंगम” जैसे दिखते हैं।

सहायक आचार्य डॉ. आनंद प्रकाश ने बताया कि टपकेश्वर मंदिर एक ऐसी गुफा के अंदर है जिसके चारों ओर प्राकृतिक रूप से घुलनशील चट्टानें बनी है। जो एक रूपांतरित शेल की बनी है। यह अपरदन के निक्षेपण का उदाहरण है।

सर्वेक्षण में छात्र-छात्राओं ने अध्ययन क्षेत्र में देखा कि एक स्थलाकृति का निर्माण कैसे होता है। तथा स्वयं निरीक्षण सहयोग की भावना, छात्र उत्तरदायित्व वहन, नवीन ज्ञान आदि कुछ सीखने को मिला।

भौगोलिक सर्वेक्षण के सफल क्रियान्वयन मे डॉ. आनंद प्रकाश, डॉ. राहुल कुमार, डॉ. विजय कुमार , प्रयोगशाला सहायक श्रीमती नूतन सैनी एवं दीपक कुमार का विशेष सहयोग रहा।